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महिला अपराध को रोकने महिलाओं को संवैधानिक एवं विधिक अधिकारों की जानकारी होना जरूरी - डॉ नायक
कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के विषय पर आयोग ने किया नर्सिंग छात्राओं के साथ वेबिनार
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रायोजित वेबिनार श्रृंखला के तहत छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा आज नर्सिंग कॉलेज, रायपुर की छात्राओं के साथ कार्यस्थल पर लैंगिंक उत्पीड़न के विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने छात्राओं को अवगत कराया कि राष्ट्रीय महिला आयोग के द्वारा प्रायोजित वेबिनार श्रृंखला में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग पूरे छत्तीसगढ़ में वेबिनार के माध्यम से महिलाओं की संवैधानिक एवं विधिक अधिकारों की संरक्षण के हित में कार्य करने हेतु यह कार्यक्रम का प्रथम दिवस आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने नर्सिंग महाविद्यालय के छात्राओं को वेबिनार के माध्यम से बताया कि पहले यह समझे कि लैंगिंक उत्पीड़न क्या है ? सरल भाषा में इसें किसी भी व्यक्ति द्वारा अनावश्यक महिलाओ के समीप आने या छूने की कोशिश करें, नौकरी,पैसा या अन्य कोई प्रलोभन देना आदि को उत्पीडन की श्रेणी में रखा जाता है।इसी तरह अश्लील कॉमेडी दिखाना या मैसेज करना, आंखों से घूरने की कोशिश कर रहे है यह सब लैंगिंक उत्पीड़न की श्रेणी में आते है।महिलाएं कार्यालय में यदि आंतरिक परिवाद समिति का गठन हो तो उस पर शिकायत कर सकती है। सभी कार्यालयीन जगहों में नर्सिंग एवं अन्य संस्थानों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्यतःहोना चाहिये। इसमें एनजीओ को भी जोडा जा सकता है।जहाँ पर इसका गठन किया जा चुका है।वहाँ फ्लैक्स बोर्ड बनाकर कार्यालय में लगा होना चाहिये।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा 14 वेबिनार आयोजित करने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग को कहा है। साथ ही जिस संस्थान को वेबिनार में सहभागिता देनी है,आयोग कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं।
इस वेबिनार में अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान,फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. सुनंदा ढेंगे, डीआईजी पुलिस मुख्यालय रायपुर सुश्री हिमानी खन्ना, संयुक्त संचालक संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती सी.एस. लाल मुख्य वक्ता रहे।अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और वक्ताओं ने नर्सिंग छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर देकर मार्गदर्शन दिया।
अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान ने छात्राओं को बताया कि कार्यस्थल पर लैंगिंक उत्पीड़न के विरूद्ध संरक्षण और लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिये यह कानून 9 दिसंबर 2013 को लागू किया गया है। कोई विभाग, संगठन, उपक्रम, अस्पताल, नर्सिंग होम, कार्यालय, शाखा, निजी क्षेत्र का संगठन, खेलकूद का संस्थान, घरेलू कर्मकार, कर्मचारी नियमित, अस्थायी। कार्यस्थल के संबंध में किसी भी आयु की ऐसी महिला जो चाहे नियोजित हो अथवा न हो, लैंगिक उत्पीड़न का कोई कृत्य किये जाने का अभिकथन करती है। निवास स्थल अथवा गृह के संबंध में, किसी भी आयु की कोई ऐसी महिला जो ऐसे निवास स्थल अथवा गृह में नियोजित की गयी हो। शारीरिक सम्पर्क तथा प्रोत्साहन, लैंगिंक अनुग्रह की मांग या निवेदन, लैंगिंक रूप से रंजित टिप्पणियां करना, अश्लील लेखन दिखाना, लैंगिंक प्रकृति का कोई अन्य अस्वीकार्य शारीरिक, मौखिक अथवा शाब्दिक आचरण आदि सभी लैंगिग उत्पीड़न की श्रेणी में आते है।इसी तरह डॉ. सुनंदा ढेंगे ने बताया कि कार्यस्थल पर लैंगिंक उत्पीड़न से बचने के लिए हमें सावधानी रखनी चाहिए। लैंगिंक उत्पीड़न दो तरह के होते हैं वर्बल जिसमें किसी भी महिला के साथ हाय, बेबी इस तरह के शब्दों का प्रयोग या सिटी मारना, किसी की शरीर पर कमेंट करना, किसी को सैक्सुअल स्टोरी बताना आदि। नॉन वर्बल में किसी महिला के आने-जाने के रास्ते में उन्हें रोकना या उनका पीछा करना, गिफ्ट देना, गले लगना, कंधे पर हाथ रखना, टच करना, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर मैसेज भेजना आदि।
डी आई जी सुश्री हिमानी खन्ना ने छात्राओं को बताया कि महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाना जरूरी है।इसके लिए हमे अपराधों की श्रेणी में आने वाले आचरणों की पूरी जानकारी होनी चाहिये। इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 दहेज के बारे में, धारा 306 आत्महत्या, धारा 313 स्त्री के सहमति के बिना गर्भपात कराना, धारा 326 एसिड अटैक, धारा 354 महिला के खिलाफ कोई भी छेड़छाड़, धारा 363 एवं 386 अपहरण, धारा 370 मानव तस्करी महिला को बेचने का व्यवसाय करने, धारा 376 बलात्कार की परिभाषा को दर्शाते है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम इसके लिये तत्काल पुलिस के पास जाना चाहिए। गर्भ धारण करने से लेकर लिंग की जांच कराने पर जुर्माना तथा सजा का प्रावधान हैं। कार्यस्थल पर प्रताड़ित महिला के साथ जो भी अत्याचार होता है उस पर वह शिकायत कर सकती है।
वेबिनार में छात्राओं से श्रीमती सी.एस. लाल के बताया कि कार्यस्थल पर दो से अधिक महिलाओ के कार्यरत होने पर दो कमेटिया गठित की जाती है।इसमे एक 10 सदस्यीय आईसीसी कमेटी गठित होता है कार्यालयीन दफ्तर में एक बोर्ड के माध्यम से इस कमेटी के सदस्यों के नाम पर मो.नं. सहित उल्लेख होना चाहिए। कमेटी का निर्माण वहां होता है जहां पर महिलाएं कार्य करती है तथा जहां केवल पुरूष ही कर्मचारी होते है वहां पर इस कमेटी का गठन नहीं किया जाता है। यह कमेटी प्रताड़ित महिला के जांच हेतु बनाया जाता है।यह कमेटी 10 दिवस के अंदर अनुशंसा किया जाना आवश्यक होता है। कोई भी रिटायर्ड अधिकारी इससे नहीं बच सकता, नियोक्ता द्वारा दोनों पक्षों के अपील में जाने की जानकारी दे सकता है। यदि कोई महिला वरिष्ठ अधिकारी के विरूद्ध शिकायत करती है और वह उसके बाद कार्य में आने पर असमर्थ होती है तो उस पीड़ित महिला को सवेतन छुट्टी दिया जा सकता है।
इस वेबिनार कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अनिता अग्रवाल सचिव छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने किया।
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