नीरज चोपड़ा और उनका भाला

लेखक - संजय दुबे

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आदिकाल से जब युद्ध अपने से साम्रज्यवादिता के लिए अपरिहार्य हुआ करता था तब युद्ध मे अनेक प्रकार के अस्त्र शस्त्र भी हुआ करते थे। तीर कमान,तलवार, गदा,चक्र जैसे सामान्य अस्त्र शस्त्र तो थे ही एक विशिष्ट प्रकार का भी अस्त्र शस्त्र हुआ करता था जिसे भाला कहा जाता है। अगर आप महाभारत काल मे जाए तो धर्मराज युधिष्ठिर को उत्कृष्ट भाला प्रयोगक माना जाता है। गुरु द्रोण ने युधिष्ठिर को भाला का सर्वश्रेष्ठ शिष्य बताया था। महाभारत युद्ध मे शल्य को युधिष्ठिर ने भाले से ही मारा था।युग बीता देश, लुटेरे आक्रमणकारियों के लुटेरेपन का शिकार हुआ। देश के राजा महाराजाओं के प्रतिद्वंद्विता औऱ देसी गद्दारो के चलते गुलाम , मुगल काबिज़ हुए। मुगलो को महाराणा प्रताप ने अपने भाले की नोंक पर उन्होंने मानसिंह की ग़द्दारी को चुनोती दी थी। आज तक देश महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा गाता है।

आधुनिक विज्ञान के कारण पुरातन अस्त्र शस्त्र अनुपयोगी हो गए। युद्ध के पुराने हथियार आज के दौर में खेल के उपकरण बन गए है। आज तीरंदाजी, तलवारबाज़ी,गोला फेक, घुड़सवारी, दौड़,कूद, जैसे आयोजन युद्ध के समय के ही तरीके है जो खेल का रूप ले लिए है। ओलम्पिक खेल कल खत्म हो गए इस खेल कुंभ में भारत के एक होनहार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने देश मे युधिष्ठिर और महाराणा प्रताप के बाद अपना शुमार किया है तो भाला एक बार फिर चर्चा में है। हम युधिष्ठिर और महाराणा प्रताप का स्मरण कर रहे है तो इसका श्रेय नीरज चोपड़ा को जाता है। 

 टोक्यो में नीरज ने स्वर्ण पदक जीत कर देश वासियों को गदगद कर दिया है। अभिनव बिंद्रा के बाद वे दूसरे ऐसे खिलाड़ी बने है जिन्होंने देश के लिए स्वर्णपदक जीता है। आमतौर पर एथलेटिक्स में हमारे खिलाड़ी एशिया में ही स्पर्द्धा नही कर पाते है तो पांच महाद्वीप में स्पर्धा औऱ भी गला काट हो जाती है। नीरज के अतीत के सारे मिथक को तोड़कर अपने सहित देश का नाम रोशन किया है। देश जबसे ओलंपिक खेलों में भाग ले रहा है तबसे लेकर अब तक टीम खेलो में हॉकी में ही हमारी जीत एक अर्से तक रही। के डी जाधव ,कर्णम मल्लेश्वरी, ने व्यक्तिगत रूप से जीत की शुरुवात की थी। अब देश मे सम्भावना बनते,बढ़ते जा रही है।इस बार हमने पुराने सारे पदक जीतने के रिकार्ड को धराशायी किया है। नीरज ,टोक्यो ओलंपिक के सितारा खिलाड़ी बने। वे 2016 से कामनवेल्थ, एशियाई खेल सहित विश्व एथलेटिक्स में स्वर्णपदक जीत कर आगे ही बढ़ते जा रहे थे सो उनसे देश उम्मीद लगाए बैठा था। उन्होंने 140 करोड़ उम्मीदों को सोना पहना दिया। 

पूरे विश्व मे फिनलैंड एक ऐसा देश है निस्के भाला फेकने वाले खिलाड़ियों ने ओलंपिक खेलों में इस स्पर्धा में एकाधिकार रखा हुआ है। उनके 7 खिलाड़ियों ने स्वर्णपदक जीता है। कुल 18 रजत औऱ कांस्य पदक फिनलैंड के खिलाड़ियों ने जीता है। ओलंपिक में रिकार्ड 90 मीटर का है जिसे तोड़ना या इससे आगे बढ़ने का लक्ष्य अब नीरज का अगला लक्ष्य अगले पेरिस ओलंपिक के लिए निश्चित रूप से होगा।


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