जॉनी 64 लीवर

लेखक: संजय दुबे

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एक जमाने मे जब देश की फिल्मों में  दुख राग का जलजला हुआ करता था तब तेल मालिश गीत के साथ सर चकराने पर आ जा प्यारे पास हमारे गीत के साथ जॉनी वॉकर  काहे घबराये कहा करते थे।वक़्त रुका हुआ होता तो जॉनी वॉकर ही होते  जॉनी लीवर नहीं होते। दोनो जॉनी एक ही घुन के महारथी निकले। वो धुन थी लोगो के चेहरे पर  मुस्कुराहट से लेकर हंसी तक फिर खिलख़िलाहट की और फिर ठहाका अंत मे चर्मोत्कर्ष पर  आंख में आंसू ला देने वाली अनवरत हंसी का माहौल बना देने का।
अब के जमाने मे 
मिलते कहॉ है 
हंसी देने वाले
रुला ही  देते है
अक्सर मिलने वाले
 ऐसे खुदगर्जी के जमाने मे हास्य का काम हिंदुस्तान लीवर कम्पनी के एक साधारण से कर्मचारी ने सड़क पर, ऑडियो के माध्यम से शुरू किया। किसी भी काम के लिए औऱ उसमे सफलता के लिए एकाग्र  होने के साथ संयम की जरूरत होती है। यदि आप कला के क्षेत्र में मुकाम चाहते है तो आपको प्रतीक्षा के साथ मेहनत भी करनी पड़ेगी। इसका जीता जागता उदाहरण स्वयं जॉनी लीवर है।जिन्हें हमें हँसाने से पहले कितना दुःख झेलना पड़ा है। हमारे जमाने मे एक फिल्म आयी थी - तेज़ाब, ये फिल्म अनिल कपूर औऱ माधुरी दीक्षित को तो स्थापित करने वाली फिल्म थी लेकिन अन्य कलाकारों की भीड़ में एक छोटा सा कलाकार भी ध्यान में रहा वह  जॉनी लीवर थे। वक़्त के साथ जॉनी  लीवर ने तब जगह बनाई जब अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार हस्य कलाकारों के पेट पर लात मार रहे थे। जॉनी लीवर ने पिछले 31 सालों से देश दुनियां को  हंसाने का काम जारी रखा है। बाज़ीगर के बाबूलाल से लेकर गोलमाल के  भूला को कौन भूल सकता है।
जॉनी लीवर के पास हमे हँसाने की अद्भुत क्षमता है। उनकी भाव भंगिमा को देख आप अपने आप को रोक नही सकते ये गारंटी है। हंसी के लिए केवल संवाद ही नही अदाकारी  के तड़का की जरूरत होती है। अक्सर ये माना जाता है कि जिस कलाकार की आंखे बोलती हो वो समर्थ कलाकार होता है,जिस कलाकार का चेहरा बयां करे वह सामर्थ्यवान कलाकार होता है और जिस कलाकार के पास बोलनेवाली आंखे औऱ  चेहरा हो वे सफलतम कलाकार माने जाते है। जॉनी लीवर ऐसे ही हास्य कलाकार है
एक व्यक्ति  जिसे कोई जीने के लिए अर्थ प्रदान करता है उसे कैसे याद रखना है ये सीखना हो तो  जोन प्रकाश राव         जानू माला से सीखिए जिन्होंने हिंदुस्तान लीवर में काम किया और छोड़े तो लीवर अपने नाम के साथ जोड़ हिंदुस्तान की सेवा के लिए हँसाने का काम पकड़ा और आज भी वे ये काम जारी रखे है।
आभार  बाबूलाल,छोटा छतरी, भूला भाई बनाम जॉनी लीवर


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