दिल को कही छूने की कोशिश

लेखक - संजय दुबे

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खेल में जीत और हार ,आपके बस में नहीं है लेकिन प्रयास करना आपके बस में है। इसी प्रयास में कभी खिलाड़ियों के बीच से दो बार पदक जीतनेवाली पी वी सिंधु, नीरज चोपड़ा,चानू साइकोम मीरा,बजरंग पुनिया,लवलीना सहित मनप्रीत की टीम निकल जाते है। प्रयास असफल होता है मीरा कॉम, अदिति अशोक, मनु भाकर सहित रानी रामपाल की हॉकी टीम सामने हो जाती है।

 ओलंपिक में हमारे खिलाड़ियों के बड़े जीत की उम्मीद बहुत कम होती है लेकिन हमारे खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में शामिल होने का सामर्थ्य दिखाते है वह मायने रखता है। ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रदर्शन का मापदंड तय रहता है। खिलाड़ियों को अंतरास्ट्रीय स्तर पर निरंतर बेहतर प्रदर्शन करना होता है।हमारे मुक्केबाज, शूटर्स, महिला हॉकी टीम ने दमदार प्रदर्शन किया था जिसके कारण अनेक देशों के खिलाड़ियों को ओलम्पिक खेलो में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया था। ओलंपिक खेल खत्म हुए हमारे खिलाड़ी पदक जीते या पदक जीतते रह गए अब ये बात मायने नही रखती है अब बात आती है कि जो खिलाड़ी संभावना से भरपूर है जिनमे ललक है हो सकता है उनमें अनुभव कम हो उनको तीन साल बाद होने वाले पेरिस ओलंपिक सहित आने वाले अंतरास्ट्रीय स्पर्धा के लिए कैसे प्रोत्साहित करें?

 जीते खिलाड़ियों की पूछ परख तो होते ही रहती है लेकिन जो जीत न सके उनकी आलोचना करना नकारात्मक विचारों के साथ उनको हतोत्साहित ही करना है। हमारे देश मे एक बात इस बार देखने को मिली वह ये कि हमने अपने खिलाड़ियों के जीत पर जश्न मनाया तो अपने खिलाड़ियों के हार पर दुखी होने के बावजूद उनकी आलोचना करने के बजाय उनको प्रोत्साहित करने की जुगत लगाई। ये सकारात्मकता हमारे खिलाड़ियों को नया सामर्थ्य देगा और अगले अंतरराष्ट्रीय खेल मंच में वे निखरेंगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की मैं सराहना करता हूं कि उन्होंने हमारे देश के खिलाड़ियों के हौसले अफ़ज़ाई में कोई कमी नही की। वे पूरे ओलंपिक आयोजन में व्यक्तिगत रूप से खिलाड़ियों से जुड़े रहे। खिलाड़ी जीते तो बधाई दी,हारे तो हौसला बढ़ाया।15 अगस्त 2021 को ओलम्पिक खेलो में गए हर खिलाडी को विशिष्ट अतिथि का दर्जा दिया,आमंत्रित किया। राष्ट्र के नाम संदेश पर खिलाड़ियों को शामिल किया, उनके लिए ताली बजायी, बजवाई।

140 करोड़ की जनसंख्या में एक करोड़ लोगों में से अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व एक एक खिलाड़ियों ने किया था ओलंपिक खेलों में। कितने त्याग,अभ्यास औऱ अंतरराष्ट्रीय सफलता असफलता के बाद हमारे खिलाड़ी खेल कुम्भ के मंच पर पहुँचे थे। ये बाद मायने रखती है।इनको देश हमेशा गर्व से देखे ये उम्मीद थी जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सार्थक किया।मैं व्यक्तिगत रूप से इस बात को रखते रहा हूं कि देश का राजनैतिक नेतृत्व को हमेशा खिलाड़ियों को आदर्श वातावरण दे,उनको आगे बढ़कर सुविधा दे,आर्थिक मदद करे। सफलता असफलता एक सिक्के के दो मापदंड है लेकिन प्रयास रहे।श्रीजेश( हॉकी गोलकीपर) को एक अप्रवासी भारतीय व्यापारी 1 करोड़ रुपये दे सकते है लेकिन देश के व्यापारी? देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पुरस्कार के नाम पर राज्य में क्यो सिमटा दिए जाते है। क्यो नही हर राज्य के मुख्यमंत्री अपने राज्य में कहे और खिलाड़ियों को वातावरण देने के लिए ओलंपिक खेलों में भाग लेने गए खिलाड़ियों को, चाहे वे हारे हो या जीते हो नगद पुरस्कार देने के लिये आगे हो, देश की सरकार को नियम बनाना चाहिए कि व्यापारिक संस्थाएं खिलाड़ियों को नगद राशि देगी वह आयकर में छूट के मापदंड में आएगा।

ये कोशिश होना चाहिए क्योंकि खिलाड़ी सम्पन्न घरो से बहुत कम निकलते है वे विपन्नता से जूझते है,अर्थ के अभाव में न जाने कितने खिलाड़ी समय से पहले किसी सरकारी विभाग में सहायक ग्रेड के कर्मचारी बनकर अंधकार में खो गए। 

पुनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से ये उम्मीद कि वे खिलाड़ियों को अर्थ से सम्पन्न बनाने की योजना बनाएं , उनकी शिक्षा को आसान बनाये, क्योकि खिलाड़ी बेहतर खेल तभी दिखा सकता है जब उसे बेफिक्री दी जाए।


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