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मेरे कृष्ण!
लेखक: संजय दुबे
कृष्ण कैसे किसी एक के हो सकते है? कृष्ण तो बाल है गोपाल है,सखा है, प्रेम है, बंधुत्व है,मार्गदर्शक है, गुरु है गोविंद है, प्रबंध है और न जाने क्या क्या है।इतने विराट कि उनके तेज़ को देखा नही जा सकता इतने पराक्रमी कि अकेले ही महाभारत हरा जीता सकते है बिना किसी अस्त्र शस्त्र उठाये बगैर? ऐसे में व्यक्तिगत कृष्ण की बात असहज लग सकती है और लगना भी चाहिए। मेरे लिये कृष्ण एक सहज उपलब्ध व्यक्ति भी औऱ व्यक्तित्व भी।हर व्यक्ति के जन्म के साथ ही कृष्ण का जन्म होता है क्योंकि जितने भी भगवान को हमने जाना है सुना है वे सम्पूर्ण व्यक्ति थे उनके कार्य ही इतने सराहनीय हुए होंगे कि वे ईश्वर स्वरूप बन गए होंगे लेकिन कृष्ण तो जन्मे भी और बड़े भी हुए।वे नटखट भी थे और परिस्थितियों को भांपने वाले थे। एक बच्चा जितनी शरारत कर सकता है उतना उन्होंने भी किया। संदीपन के शिष्य बने तो आदर्श विद्यार्थी बनने के साथ सहपाठी भी बने। मित्रता की तो निभाया।प्रेम किया तो संदर्भ बदल दिया।प्रेम में समानता तो होती है लेकिन सद्भावना की मिसाल उन्होंने कायम की। प्रेम में निश्छलता उनका गुण रहा इस कारण वे देवकी, यशोदा राधा,मीरा,सुभद्रा, द्रोपदी सहित रुक्मिणी जैसी महिलाओ के आदर्श भी रहे।
दुनियां में उनके जैसा प्रबधंक कोई नही रहा। वे युद्ध मे भी शांति के अंतिम अवसर की संभावना को टटोलते रहे।युद्ध अनावश्यक लगा तो युद्ध छोड़ दिया। सहायता के लिए वे समग्र रहे। सबकी मदद की। यही कारण था कि वे कौरव पांडव को अपने दरबार से खाली हाथ न जाने नहीं दिया वे सशक्त थे लेकिन अशक्त सुदामा हो द्रोपदी या भीष्म या द्रोण या कर्ण या कुंती सभी को मौके पर मदद कर वे सभी के तारणहार बने
।युद्ध की अपरिहार्यता पर वे सारथी बने और मार्गदर्शक भी। नीति भी सिखाया अनीति भी । युद्ध शक्ति से नहीं बुद्धि भी जीता जाता है।
ऐसे कृष्ण तो सभी के है
मेरे कृष्ण इन सबसे जुदा है।मेरे कृष्ण मुझे सामर्थ्य देते है।मेरा अपना मानना है हर व्यक्ति का अपना कुरुक्षेत्र होता है।हर व्यक्ति खुद में एक महाभारत लड़ता है।हर व्यक्ति के भीतर एक महाभारत चलता है,हर व्यक्ति के इर्दगिर्द भीष्म,द्रोण कर्ण विदुर होते है, तो धृतराष्ट्र,शकुनि दुर्योधन, अस्वस्थामा, जयद्रथ , दुःशासन भी होते है। इन सबसे दो चार होना पड़ता है। मेरे कृष्ण मेरे साथ होते है।प्रबंधन के साथ, प्रबंधक बनकर
सभी को मेरे कृष्ण जन्म की शुभकामनाएं
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