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वर्गिस कुरियन
एक व्यक्तित्व जिसके नाम से आप अमूल को जानते है
एक अकेला चना भाड़ नहीं झोंक सकता इस कहावत को गलत सिद्ध करने के लिए आपको कहा जाए तो आप बिना देरी किये वर्गिस कुरियन का नाम ले दीजिये। श्वेत क्रांति के जनक कुरियन को गए 9 साल हो गए है लेकिन जिस नींव पर उन्होंने दूध की धार को प्रवाहित किया था आज उसके चलते एक तरफ देश उत्पादन में आत्मनिर्भर तो है ही वही विदेशों की दूध से बने उत्पादको को मात कर रहे है। विदेशों में भी देश का दूध और उसके उत्पाद के लिए एक ही नाम काफी है- अमूल
सरकारी दखल वाली अनेक संस्थानों के घाटे की दास्तां हम सभी जानते है। सहकारिता की सफलता की दास्तां जानने के लिए अगर सबसे प्रेरणादायक संस्थान अमूल है जिसे वर्गिस कुरियन ने दक्षिण से आकर पश्चिम में स्थापित किया था।
इस देश मे हर वस्तु के उत्पादन,विपपण,वितरण में माफिया है जिनका उद्देश्य बाजार में कृत्रिम कमी बनाकर अनावश्यक लाभ कमाना है।दूध उत्पादन भी ऐसा ही क्षेत्र था जहां सम्पन्न दूध उत्पादक बाजार में कब्जा चाहते थे।वर्गीस कुरियन ने ऐसे प्रतिरोध के बावजूद दूध उत्पादको की सहकारी समिति बनाई और समग्र दूध खरीद कर बड़े पैमाने पर उसके व्यवस्थित वितरण की योजना को साकार किया। कुरियन दूध तक ही सीमित नही रहे बल्कि दूध के अन्य उप उत्पादन जैसे घी,मठा, मक्खन,खोवा,चीज़, पनीर ,श्रीखंड में भी अमूल को सफलता दिलाते गए। एक समय बच्चों को छोड़कर बड़ो का दूध पीना सीमित था।दूध के उप उत्पादन का उपयोग धनवान लोगो के आदतों में शुमार होता था लेकिन आज पनीर हर किसी कार्यक्रम की अनिवार्यता बन गई है। मक्खन को ले तो 05 ग्राम से लेकर 500 ग्राम के पैक में अमूल का कोई विकल्प देश मे नही है। मठा हो या लस्सी या श्रीखंड उपभोक्ताओं के पास अमूल का विकल्प नही है। दिनों तक दूध को सुरक्षित रखने या पाउडर के रूप में दूध को परिवर्तित करने की बात हो कुरियन समय से आगे चल अमूल को अमूल्य बना कर गए।
दूध की कच्ची सामग्री गाय और भैंस है।कुरियन ने भैस के दूध को अपना लक्ष्य बनाया और हर गावँ में समिति बनाकर ऐसा असंभव कार्य किया जिसकी मिसाल देनी हो तो केवल हरित क्रांति के जनक डॉ स्वामीनाथन ही समकक्ष पाए जाते है। आज अमूल से 24 लाख दूध उत्पादक सीधे जुड़े है जिनकी जीवन शैली में संपन्नता है। देश भर में हर छोटे से छोटे दुकान से लेकर बड़े से बड़े मॉल में अमूल की ब्रांडिंग है। हर राज्य में दूध के अपने सहकारी संस्थाएं है जो अमूल के ही पथ पर चल रहे है। एक व्यक्ति अपने जीते जी और मरने के बाद क्या कर सकता है?
अब मुद्दे की बात
हमारे देश मे राजनीति के क्षेत्र में काम करने वालो की बड़ी पूछ परख है। होना भी चाहिए वे देश की व्यवस्था बनाने वाले प्रमुख है।इंक़े अलावा भी बहुत से व्यक्ति है जिन्होंने देश के लिए बतौर वैज्ञानिक, गायक, कलाकार के रूप में सेवा की उनको भारत रत्न के रूप में नवाज़ा गया। सचिन तेंदुलकर जो 200 वा टेस्ट खेलने के लिए आखिरी के 20 टेस्ट में तो रनों के लिए रेंगते रहे उनको भारत रत्न बनाने के लिए स्टेडियम से फोन किया गया। चयन समिति की औपचारिकता पूर्ण किये बगैर भारत रत्न घोषित कर दिया गया लेकिन वर्गिस कुरियन? वर्गिस कुरियन भी ध्यान चंद के समान किसी राजनैतिक दल के सदस्य नही थे। बस।
वे ऐसे जगह के भी नही थे जहां चुनाव जीतने के लिए उनको भारत रत्न बनाना मजबूरी हो।अब आप भूपेन हजारिका को आसाम से मत जोड़ लीजिएगा
समझदार को इशारा काफी है
#संजयदुबे
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