"अगर बच्चों को पहले से ही संस्कार दिए जाएं तो भविष्य में रिश्ते टूटने से बच सकते हैं" - राज्यपाल अनुसुइया उईके

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 सिंधी महिला सामाजिक संस्था 'सुहिणी सोच' की ओर से 2 अक्टूबर को दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में बहुरानी सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मीडिया प्रभारी ज्योति बुधवानी ने बताया कि

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अपने संस्कार,सभ्यता रीति-रिवाज और भाषा को बढ़ावा देकर उसे कायम रखना और नए रिश्तों में मधुरता और सामंजस्य बनाने में बहू बेटियों को उनकी भूमिका से परिचित एवं जागृत कराना क्योंकि इन्हीं से नई पीढ़ी का निर्माण होता है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके , पूज्य संत श्री साईं युधिष्ठिर लाल जी ,साईं लाल दास जी,राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सुहिणी सोच संस्था के मेंटर सीए चेतन तारवानी और वृंदावन धाम से मानस पुत्री दीदी पुष्पांजलि सम्मिलित हुए।

ट्रेनर के रूप में मुंबई से हीना शहदादपुरी,जोधपुर से अमृता दुदिया और बिलासपुर से विनीता भावनानी थी।

हीना ने बच्चों की परवरिश के बारे में पीपीटी के माध्यम से जानकारी देकर कहा कि पेरेंट्स को बच्चों में कॉन्फिडेंस भरना चाहिए उनकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। हर समय दूसरों के सामने बच्चों को पोयम सुनाओ का खिलौना नहीं बनाना चाहिए ।माता और पिता को तालमेल बनाकर चलना चाहिए तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव है।बच्चे के किसी भी निर्णय में दोनों का एक मत होना जरूरी है।

अमृता ने अपने ट्रेनिंग सेशन में कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार होना बहुत जरूरी है। संस्कार विहीन शिक्षा एटम बम बन सकती है ‌।उन्होंने अपने संबोधन में रीति रिवाज और त्योहारों को परिवार के साथ मनाने में जोर दिया क्योंकि इससे परिवार में एनर्जी के वाइब्रेशन आते हैं ।उन्होंने यह भी कहा कि अपने बच्चों को पॉजिटिव वाइब्रेशन देकर उनकी समस्या को हल करने में मदद करना चाहिए। विनीता भावनानी जी ने कहा कि परिवार में तीन बातें पॉइजन का काम करती है बहस, तुलना और अपेक्षाएं। परिवार में जो बेटी बहू बनकरआती है तो परिवार को प्रेम,प्यार,विश्वास, समर्पण और सम्मान से पहले बहू का दिल जीतना चाहिए तभी वह उसे अपना घर समझेगी,बहू को भी अपने ससुराल में रिश्तो में मधुरता और सामंजस्य बनाना चाहिए।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सीए चेतन तारवानी जी ने कहा कि सुनने की कला से आप किसी के जीवन में खास बन सकते हैं। संस्था की संस्थापक मनीषा तारवानी ने कहा कि बच्चों की पहली शिक्षक मां होती है उसी को सुसंस्कृत करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया क्योंकि बहुओं के माध्यम से ही आने वाली पीढ़ी में संस्कार हस्तांतरित होंगे।

राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने सिंधी समाज के इस सम्मेलन में खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह समाज की महिलाओं की उन्नति के लिए एक बेहतरीन प्रयास है‌। उन्होंने कहा कि भारत में शादी दो परिवारों का मिलन होती है इसमें हर रिश्ते में समर्पण की भावना होना जरूरी है आजकल परिवार में शादी के बाद जो समस्याएं होती है वह संस्कारों की कमी के कारण ही पैदा होती है उन्होंने आह्वान किया कि अगर बच्चों को पहले से ही संस्कार दिए जाएं तो भविष्य में रिश्ते टूटने से बच सकते हैं।

सम्मेलन में पूज्य संत श्री साईं युधिष्ठिर लाल जी, साईं लाल दास जी, भाभी मां दीपिका जी और वृंदावन से आई मानस पुत्री पुष्पांजलि ने अपने आशीर्वचन से अभिभूत किया और उन्होंने सभी को परिवारों में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को शुरू से ही अपनी भाषा और संस्कार ,रीति रिवाज को मानने के लिए जोर दिया।

कार्यक्रम में रायपुर सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों से लगभग हजार लोग उपस्थित थे। सुहिणी सोच संस्था को सहयोग करने वाली 12 संस्थाओं को एवं आयोजकों को मोमेंटो देकर उनका सम्मान किया गया । कार्यक्रम का मंच संचालन जूही दरयानी और नीलिमा आहूजा सरिता आहूजा एवं साक्षी मखीजा ने किया, अध्यक्ष पायल जसवानी ने सभी अतिथियों का सम्मान किया।अंत में सचिव माही बुलानी ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया।

 


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