"मुर्दे"
लेखक: संजय दुबे
मुर्दे, बहुवचन शब्द है एकवचन शब्द-मुर्दा का। उर्दू का शब्द है, जिंदा का विलोम शब्द है। मुर्दे, दफ्न होते है, मिट्टी में। ऐसा माना जाता है कि मिट्टी के भीतर के कीड़े मकोड़े सहित मिट्टी की मृदा भी मुर्दे के जिस्म सहित हड्डियों को भी मिट्टी में बदल देती है। उर्वरा के रूप में बदल जाता है- मुर्दा।
गड़े मुर्दे कई बार उखाड़े भी जाते है यदि इस बात का पुख्ता शक हो कि शायद मुर्दे में जान बाकी है या मुर्दे में बदला जिंदा स्वाभाविक मौत नही मरा है।
हिंदी साहित्य में "गड़े मुर्दे उखाड़ना" एक मुहावरा है जिसका अर्थ है ज्यादातर ऐसी पुरानी बातों का जिक्र करना जिससे किसी को दुख पहुचे, ऐसी बाती को मौका मिलने पर पुनरावृत्त करने से विवाद ही होता है। गड़े मुर्दे गड़े ही रहे तो अच्छी बात है क्योकि मुर्दे के गड़ने के बाद उसका स्वरूप बदलने लगता है।मुर्दा शरीर से बदबू आने लगती है। आमतौर पर जब भी कभी कही पर चाहे वह परिवार हो, समाज हो, संस्था हो या संस्थान हो विवाद की स्थिति आते ही लोग पुरानी बातों को सामने लाकर खुन्नस निकालने लगते है।
ये बाते कहने वाले के लिए सुकूनदायक होती है और सुननेवाले के लिए पीड़ादायक क्योकि ऐसी बाते अवसर आने पर लोगो के द्वारा पुनरावृत्त किया जाते रहता है। परिवार में हर व्यक्ति के मस्तिष्क को आप मुर्दाघर मान सकते है जिसमे न जाने कितने मुर्दे गड़े रहते है। लोगो की याददाश्त भी इस मामले में बड़ी तगड़ी होती है। सालो पहले गड़े मुर्दे इनके मस्तिष्क में सुरक्षित रखे होते है। मिस्र की ममी की तरह। सुरक्षा लेप लगाकर इन मुर्दो को जिंदा रखा जाता है ताकि वक़्त आने पर इनको जिला सके और दुख पंहुचा सके।
सामाजिक कार्यक्रमो में सबसे ज्यादा मुर्दो में जान डाली जाती है। सुखद घटनाओं का जिक्र छोड़कर दुखद हादसों के मुर्दे लोगो के साथ आते है। खुद सज सवंर कर आते है।महकने के लिए इत्र लगाते है लेकिन अन्तःमन में सड़े गले मुर्दे साथ मे आते है। इनमे जान फूंकते है और छोड़कर आते है,साथ भी लाते है ताकि आगे भी इनको उखाड़ा जाए।
मुझे दुख होता है कि व्यक्ति सुखद घटनाओं को क्यो याद नही रख पाता है, खूबियों को क्यो गिना नही पाता है। नकारात्मक ऊर्जा से इतना लबरेज़ क्यो होता है कि कमी ही कमी दिखती है।क्यो नही सकारात्मक विचार के परिपूर्ण होकर गड़े मुर्दो को दफन ही रहने दे। गड़े मुर्दो के चलते आखिरकार माहौल ही तो बिगड़ता है।
सकारात्मक रहे!
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