नवरात्री विशेष में "माँ रमई के दर्शन"

लेखक: सतीश जलक्षत्री

feature-top

नवरात्रि विशेष के छठवें दिवस पर आज हम आपको अवगत कराते है माँ रमई के महिमा के बारे में, छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक के ग्राम बासीन खुर्द से 2 किलोमीटर की दूरी पर, हरी भरी वादियों के बीच पहाड़ी में रमईपाठ का पावन धाम पर मंदिर स्थित है, इस मंदिर के गर्भगृह में माँ रमई की प्रतिमा स्थापित है साथ में भगवान रुद्र भैरव, विष्णु व गादी माँ की प्रतिमा स्थापित की गई है, गर्भगृह के बाहर मंदिर परिसर में शिवलिंग, महाप्रभु जगन्नाथ व हनुमान जी का मंदिर भी है। यहाँ के पुजारी श्री बोधन नागे जी व मंदिर समिति के पूर्व सचिव श्री बलदाऊ नेताम जी ने बताया कि चैत्र व कुंवार नवरात्रि में माँ रमई के दर्शन करने श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है, साथ ही भक्तगण अपनी मनोकामनाएं लेकर दोनों नवरात्रि में ज्योत प्रज्वलित करवाते है । कहा जाता है कि जो संतान की प्राप्ति न होने से दुखी रहते है, यदि वे सच्चे मन से संतान प्राप्ति की कामना लेकर इस मंदिर पर आते है, तो माँ रमई उनकी विनती जरूर सुनती है। बहुत दूर-दूर से भक्तगण अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने यहाँ आते है ।

मनोकामना पूर्ण होने के उपरांत भक्तगण लोहे की कड़ी से हार बनाकर शिवलिंग के ऊपर अर्पण करते है । मंदिर परिसर में खास आकर्षण का केंन्द्र आम के झाड़ के नीचे से निरंतर रूप से बारह माह पानी की धारा बहते रहना है, जो कुंड के माध्यम से होते हुए गाँव तक पहुचती है जिसके कारण गाँव में पानी की कमी नही होती, वहा के लोग धार्मिक आस्था के अनुरूप उस जलधारा को माँ गंगा मईया के धारा के नाम से पुकारते है। साथ ही मंदिर परिसर के पास 1 पुराना पेड़ है जिसके तने की आकृति भगवान गणेश जी के समान प्रतीत होती है वह भी भक्तों का ध्यान आकर्षित करता है।


feature-top
feature-top
feature-top