तो आज आप रावण मारने जा रहे है

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समूचे भारत मे अपवादस्वरूप कुछ स्थानों को छोड़ दे तो अमूमन हर व्यक्ति आज रावण को मारने के लिए आतुर है। सुबह से व्हाट्सएप फेसबुक ट्विटर इंस्टाग्राम में सभी जाने अंजाने लोग दशहरा की।बधाई दे रहे है। बुराई पर अच्छाई की जीत के अधिकांश पूर्वनिर्मित संदेशों का प्रक्षेपण चल रहा है। सृजन का संसार छोटा है सो आगे बढ़ाओ, मुक्ति पाओ का सिद्धांत दौड़ रहा है। शाम होते तक चंदे के रावण मैदानों में खड़े होने वाले है। ऊंचाइयों का होड़ पिछले दो साल से कोरोना काल के चलते कम हो गयी है वरना देश का राज्य का, शहर का सबसे ऊंचा रावण आकार बढ़ाते ही जा रहा था। पहले कुछ स्थानों में रावण हुआ करते थे लेकिन समय बदल गया है। एक दो दस पंद्रह फुट के बौने,मध्यम रावण बाजार में खड़े है बिकने के लिए। इसके अलावा रावण के मामले में स्थानीयकरण का सिद्धांत भी लागू हो गया है। प्रतिष्ठा के प्रश्न के रूप में रावण खड़ा हो जाता है मारने वाले के अहम की संतुष्टि के लिए। हम सभी जानते है कि रावण को मारने का श्रेय दशरथ नंदन राम को जाता है।अपनी पत्नी के अपहरण का बदला लेना था। स्त्री प्रतिष्ठा का प्रश्न था पुरुष के सामने। रावण वध के बाद भी राम ने अग्नि परीक्षा ली थी समाज को दिखाने के लिए, सतीत्व की परीक्षा उतीर्ण होने के बाद भी राम कानाफूसी करने वाले समाज के कमजोर मानसिकता वाले व्यक्तियों के सामने हार गए थे। इस कारण आज हर कोई रावण मारने जाएगा लेकिन कोई भी राम बनने की प्रत्याशा लेकर नही जाए।राम के प्रतीक बने बड़े बच्चे या रावण दहन के मुख्य अतिथि बारूद से भरे बाण चलाएंगे या लेज़र से रावण का वध करेंगे लेकिन वे राम नही बनें। राम बनने के लिए त्याग करना पड़ता है ।त्याग हमारी मानसिकता में है ही नही। हम हमेशा अपेक्षा करते है । सदियों से दशहरा आ रहा है जा रहा है रावण के पुतले विशाल होते जा रहे है। रावण वध कार्यक्रम के बहाने स्वार्थ साधे जा रहे है। स्त्री पुरूष शामिलात रूप से सपरिवार जा रहे है। अपने भीतर बुराइयों को साथ लिए हुए। जाएंगे, दर्शक बनेंगे, रावण धुं धुं कर जलेगा,विस्फोट होगा, कुछ ही क्षणों में भरभरा कर गिर जायेगा। प्रसन्न हो जायेंगे। रास्ते मे सोन पत्ती खरीद लेंगे। घर पहुँचेंगे। घर मे तिलक अभिनंदन होगा। मिष्ठान नसीब होगा। प्रतीक स्वरूप धन राशि प्राप्त होगी। बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मन जाएगा।

यक्ष प्रश्न

 कोई सुधार की उम्मीद है या बुराइयों में वार्षिक वर्द्धि कर अगले साल औऱ ऊँचे रावण को मारने जाएंगे?

  मैं रावण से पाण्डित्य सीखने की प्रक्रिया में हूँ ये मानते हुए कि बुरे व्यक्ति के कुछ नेक सिद्धान्त होते है, अच्छाई उसमे भी होती है। रावण को एक दुष्कृत्य की सज़ा राम दे चुके है।


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