दादा साहब, रजनीकांत
लेखक: संजय दुबे
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इसमें भी उत्कृष्ट पुरस्कार की बात करे तो दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की कीमत सबसे अधिक है। ये पुरस्कार बिना किसी लाग लपेट के सादगी लेकिन सम्मानीय ढंग से दिया जाता है। ये किसोइ भी शराब के आड़ में सोडा, अथवा गुटखे की आड़ में जर्दा अथवा छद्म खूबसूरती बेचने वाले कास्मेटिक कम्पनी के द्वारा प्रायोजित नही होता है। एकात बार शर्मिला टैगोर के सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रहने के दौरान 2004 में हम तुम जैसी फ्लाप फिल्म "हम तुम" को छोड़कर अमूमन ये पुरस्कार प्रतिष्ठा को बढ़ाया ही है। इस साल ये पुरस्कार जिस सख्सियत को मिला है वे पश्चिम के मराठी मानुस होकर दक्षिण में एक बस कंडक्टर से अद्भुत भूमिका करनेवाले रजनीकांत को मिला है। वे हिंदी भाषी फिल्म कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा के समान ही दक्षिण के सफल कलाकार रहे है जिन्होंने खलनायक होने की सफलता के बाद खल छोड़ नायक बने।दक्षिण में रजनीकांत की लोकप्रियता आपको आश्चर्य में डाल सकती है क्योंकि हिंदी फिल्मों के नायकों के महंगे होने से पहले रजनीकांत ही करोड़ रुपये पाने वाले पहले नायक हुए थे। उनकी प्रतिभा भी निराली रही है। विस्मयकारी तरीको से उनका नायकत्व निखरता था। उन्होंने बॉलीवुड के चॉकलेटी नायकों के पलट सामान्य चेहरे से अपनी अलग दुनियां बनाई। उनके मनोरंजन की दुनिया के प्रति सालो के समर्पण के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है।
अब तक 51 व्यक्तित्व दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजे गए है जिसमे हिंदी, तेलगु,तमिल,मलयालम, सहित बांग्ला भाषा मे अथक प्रयास कर मनोरंजन की दुनियां को औऱ बेहतर बनाने वालों को राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार मिला है। निर्माता, निर्देशक, नायक, नायिका, गीतकार, संगीतकार के अलावा गायक गायिका और तकनीकी तौर पर छायाकार(केमरामेन) भी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजे गये है।माना जाता है कि निर्माता बी सबसे ज्यादा वितीय जोखिम मोल लेने वाला होता है। इंक़े कारण ही फिल्मों का भूर्ण गर्भ से जन्म लेता है। बी एन सरकार, बारले, इस एल वी प्रसाद, बी नागि रेड्डी, भाल जी पेंढारकर, बी आर चोपड़ा, ऋषिकेश मुखर्जी, बी आर चोपड़ा, मृडाल सेन, अडूर गोपाल कृष्ण, श्याम बेनेगल, दी रामानायडू, के बालाचंदर, ओर के विश्वनाथ निर्माता श्रेणी से दादा साहेब फाल्के पुरस्कार ग्रहण किये है।
निर्देशक , जो फिल्म का आधार स्तम्भ होता है इस श्रेणी में धीरेन्द्र नाथ, नितिन बोस,सत्यजीत रे, ऒर वी शांताराम का नाम है।
संगीत के श्रेणी में पंकज मालिक औऱ नौशाद अली बतौर संगीतकार, मजरूह सुल्तानपुरी,प्रदीप, औऱ गुलजार के साथ गायकों में भूपेन हजारिका और मन्ना डे औऱ गायिकाओ में लता मंगेशकर के साथ उनकी बहन आशा भोसले को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला है।
फिल्मों में पुरुषों का वर्चस्व है ये बात नायिका औऱ नायकों को मिले पुरस्कार ही बया करता है। नायिकाओं में केवल 4 औऱ नायकों को 17 बार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला है। नायिकाओं में देविका रानी, रूबी मेयर्स(सुलोचना) कानंनदेवी सहित दुर्गा खोते है जबकि नायकों में पृथ्वीराज कपूर, सोहराब मोदी,पेड़ी जयराज, राज कपूर, अशोक कुमार, नागेश्वर राव, दिलीप कुमार, डॉ राजकुमार, शिवाजी गणेशन, देवानंद, सौमित्र चटर्जी, प्राण,शशि कपूर, मनोज कुमार, विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और अब इस फेरहिस्त में रजनीकांत जुड़ गए है
तकनीकी श्रेणी में छायाकार वी के मूर्ति को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलना उनको पूरे फेरहिस्त में सबसे महत्त्वपूर्ण बनाता है ।
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