पृथ्वीराज कपूर होने का अर्थ

लेखक: संजय दुबे

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भारत की पहली बोलती फ़िल्म आलमआरा थी। इस फिल्म में एक कलाकार थे- पृथ्वीराज कपूर। आगे चलकर उनका खानदान फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा सफल खानदान बना । चार पीढ़ी तक दादा से लेकर परपोता परपोती तक कलाकार सफलता के झंडे गाड़ रहे है। पृथ्वीराज कपूर बहुत ही ईमानदार कलाकार थे। अभिनय के प्रति उनका समर्पण अद्भुत था। वे न केवल पर्दे बल्कि रंगमंच के भी समर्पित कलाकार थे। भारत मे इप्टा नाट्य संस्था के वे संस्थापक सदस्य रहे। रंगमंच औऱ फिल्म में सबसे बड़ा अंतर ये है कि रंगमंच में आपको एक ही बार मे ही अभिनय करने की गुंजाइश रहती है।फिल्म में जब तक सर्वश्रेष्ठ नही आ जाता तब तक टेक रीटेक चलते रहता है। पृथ्वीराज कपूर ने पृथ्वी थियेटर की स्थापना की औऱ देश भर में लगभग 2500 बार नाटकों का मंचन किया। पृथ्वीराज कपूर को देश के पुराने दर्शक मुगले आज़म में जहाँगीर के पिता अकबर की भूमिका के कारण जाना जाता है।" प्यार किया तो डरना क्या" गीत में पृथ्वीराज कपूर ने मधुबाला औऱ दिलीप कुमार को फीका कर दिया था। अपनी बुलंद आवाज़ औऱ कदकाठी के कारण पृथ्वीराज अपनी अलग छाप छोड़े थे। उनके रहते रहते उनके सबसे बड़े पुत्र राजकपूर नायक औऱ निर्देशक के रूप में स्थापित हो गए थे। उनके दो औऱ पुत्र शम्मी कपूर और शशि कपूर भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना मकाम बना लिए। आगे राजकपूर के पुत्र रणधीर कपूर और ऋषि कपूर भी फिल्म में आगे नक़्शे कदम पर चले। पृथ्वीराज कपूर ने अपने पुत्र राजकपूर और रणधीर कपूर के साथ" कल आज औऱ कल" में काम किया। किसी भी एक खानदान के तीन पीढ़ी के कलाकारों का एक ही फिल्म में काम करनें की अनोखी प्रस्तुति थी। 

 पृथ्वीराज कपूर के नाट्य मंचन की विरासत को राज कपूर नही बढ़ा पाए। वे विशुद्ध व्यवसायिक हो गए बल्कि शशि कपूर ने आगे बढ़ाई। वे अंग्रेजी नाटकों में अभिनय करते रहे। । पृथ्वी राज कपूर की तीसरी पीढ़ी में ऋषि ही चल पाए।रणधीर कपूर और राजीव कपूर असफल रहे लेकिन रणधीर कपूर की बेटियों ने कपूर खानदान की परंपरा को तोड़ने का काम किया। कपूर खानदान में रणधीर और ऋषि ने क्रमशः बबीता और नीतू सिंह से विवाह किया था। दोनो को फिल्म जीवन छोड़ना पड़ा था। बबीता ने अपनी दोनो बेटियों करिश्मा कपूर औऱ करीना कपूर को फिल्मों में लाने के लिए कपूर हाउस छोड़ दिया। ऋषि के पुत्र रणवीर कपूर चौथी पीढ़ी के प्रतिनिधि है।

पृथ्वीराज कपूर इस पूरे खानदान के लगभग 90 साल के फ़िल्मी सफर के पहले पथ प्रदर्शक थे।

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार पाने वाले 51 कलाकारों में वे अकेले ऐसे व्यक्ति है जिन्हें मरणोपरांत पुरस्कार मिला।है। उनके ही समान उनके पुत्र राज कपूर औऱ शशि कपूर भी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजे जा चुके है


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