जलेबी
लेखक : संजय दुबे
सर आपका चार महीने बाद रिटायरमेंट है। हम चाहते है कि आपका परिवार साथ मे रहे। आप अभी से बता दे कि 31 मार्च 2022 को सभी जहां भी हो या जाए
अधीनस्थ कर्मचारियों ने आनंद खरे से अनुरोध किया
मैं कौशिश करूँगा। बेटा बहु औऱ उनका दो साल का बेटा बेंगलोर में है। बिटिया नासिक में है उसकी भी तीन साल की बेटी है। आजकल तो छोटे बच्ची के भी स्कूल दाखिले में पहले से नंबर लगाना पड़ता है।
हम लोग चाहते है सर, वे लोग आए हमारे कार्यक्रम में उनको जोड़ना चाहते है, बताइएगा। वे जरूर आएंगे।
सिटी बस में बैठकर आनंद ने बेटी मुन्नी को मोबाईल से कॉल किया।
हाँ मुन्नी
" जलेबी, बाबू जी, प्रणाम। आप 31 मार्च 2022 को रिटायर हो रहे है ना। मैं 30 मार्च को आ रही हूं। छुटकी के स्कूल के एडमिशन की बात हो रही थी। मैं बोल दी ।सब करना लेकिन 30, 31 मार्च ओर 1 अप्रैल को कुछ नही ।मैं बाबू जी के पास रहूंगी। आखिर बार आफिस से घर आएंगे तो दरवाजे पर आरती करूंगी। टीका लगाउंगी। और हाँ खोए की जलेबी जरूर ले आना 30 मार्च को वो भी 2 किलो मेरे लिए ।उसमे से किसी को नही दूंगी। भईया को भी नही।"
"अरे,यही बात तुझे बताने के लिए कॉल किया था। तू तो कुछ बोलने ही नही देती।"
"बाबू जी जब से होश सम्हाली हूं तबसे देखी हूं। कभी नागा नही किये आफिस से।छुट्टी में भी काम किये। हाँ इतने के बावजूद कभी भी खोए की जलेबी लाना नही भूले। अब जबकि आपके आफिस का आखरी दिन होगा तो जलेबी की तो बनती है ना।"
"बिल्कुल छोटी की छोटी है, ठीक है जैसा तू चाहेगी वैसा ही होगा। 2 किलो खोए की जलेबी पक्की।"
प्रणाम बाबू जी।"
आनंद ने मोबाइल बन्द किया। आंखों से अश्रु बह निकले।
आनंद ने अपने बेटे समीर को काल किया
"बाबू जी प्रणाम, कैसे है"
"अच्छा हूं बेटा। मैं अगले साल 31 मार्च को रिटायर हो रहा हूं। आफिस वालो की इक्छा है कि मेरा पूरा परिवार साथ रहे। तुम लोग एक दिन के लिए आ जाओ।"
"बाबू जी। ओम का किंडरगार्टन में एडमिशन होने की तारीख 1 अप्रैल है। आप तो एडुकेशन का महत्व समझते है। मुश्किल है आना। मैं 31 मार्च को कॉल जरूर करूँगा। प्रणाम"
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30 मार्च को मुन्नी अपने पति और बिटिया के साथ पहुँच गयी।
"बाबू जी,समीर भैया से बात की थी, वे नही आ रहे है। ऐसा बताये। ओम का एडमिशन का डेट है कहकर।" मुन्नी ने आनंद से पूछा
"हॉ बेटा, ऐसा ही मुझे भी बताया था। तू आ गयी है ना।मेरे लिए इससे बढ़कर खुशी क्या हो सकती है।"
" भैया को आना चाहिए था, बाबू जी। आपने उनके पढ़ाई के लिए सालो पुराना फुल पैंट पहनते रहे। ठंड में स्वेटर नहीं खरीदा। बस से आफिस जाते रहे। वे सब भूल गए?" मुन्नी ने नाराजगी जाहिर की
" अरे तू भी क्या बकबक करती है। बड़े शहर में है, बड़े नौकरी में है, बड़े स्कूल में ओम को भर्ती कराना है।"
"आप वापस आते समय मेरे लिए 2 किलो खोए की जलेबी लेकर आना बस"
31 मार्च 2022
आनंद अपनी बेटी मुन्नी, उसके पति ,बेटी सहित आनंद के सहयोगी कर्मचारियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुँचे।
पुरनम आंखों से सभी ने बिदाई दी। शाल ओढ़ाया श्रीफल दिया।
आनंदकी निगाहें समीर को खोज रही थी। काश आज वह भी होता?
आभार प्रदर्शन के लिए मुन्नी को बुलाया गया
मुन्नी खड़ी होकर माइक पकड़ कर बोलने लगी" मेरे बाबू जी, दुनियां के सबसे अच्छे बाबू जी है। उन्होंने छोटी सी नौकरी में भी हमे बड़ी खुशी दी है। उन्होंने हमें माँ की कमी कभी महसूस होने नही दी। मैं एक साल की थी और समीर भैया 4 साल के तब हमारी माँ का स्वर्गवास हो गया था। वे चाहते तो दूसरी शादी कर सकते थे लेकिन वे हमारे माँ भी बने और बाबू जी भी। आज हम जैसे भी है उनके कारण है। मैं बाबू जी के घर पहुँचने पर आज थोड़ी देर के लिए माँ बनूंगी। उनका स्वागत करूंगी टीका लगाउंगी औऱ कल जो खोए की जलेबी केवल मेरे लिए लाए है उसमें से छोटा सा टुकड़ा खिलाऊंगी। छोटा सा टुकड़ा हॉ। अब बाबू जी को मैं एक भेंट देना चाहती हूँ। बाबू जी ,इस पर्दे को हटाकर अपना भेंट स्वीकार करिये"
आनंद के आंखों में समीर घूम गया। काश ,आज वो यहां होता
भारी मन से आनंद ने पर्दे को हटाया।
सामने समीर अपनी पत्नी और बेटे के साथ खड़ा था।
"बाबू जी, दो किलो जलेबी मेरे लिए भी लाइएगा।"
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