छोटे छोटे उपाय करने से पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति बन सकता है सहभागी - डॉ वार्ष्णेय

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आरोग्य भारती एवं अमृत हिमालय फाउंडेशन द्वारा "पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य विषय पर राष्ट्रीय तरंग संगोष्ठी" में मुख्य अतिथि के रुप में जुड़े आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ अशोक वार्ष्णेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि छोटे छोटे उपाय करने से पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति भागीदार बन सकता है । उन्होंने आगे कहा कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक व पोलीथीन उपयोग न करके, नियमित पौधारोपण कर, विषमुक्त भोजन सामग्री का प्रयोग करने जैसे उपायों से पर्यावरण संरक्षण भी होगा और मनुष्य स्वस्थ भी रह सकेगा। भारतीय रैवेन्यु सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं वर्तमान में इनकम टैक्स कमिश्नर अमृतसर तथा "ग्रीन मैन ऑफ इण्डिया" के सम्मान प्राप्त विश्व विख्यात पर्यावरणविद् रोहित मैहरा ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि प्लास्टिक बोतल से पर्यावरण दूषित करने के स्थान पर इन बोतलों का पौधे उगाने तथा वर्टीकल गार्डन बनाने में उपयोग करने से मल्टी स्टोरी भवनों, सरकारी भवनों स्कूलों तथा आस्था भवनों को भी हरा-भरा रखकर वायु प्रदूषण नियंत्रण तथा वातानुकूलन के प्रयोग को सिमित किया जा सकता है। 9 लाख पौधे रोपित,105 माइक्रो फारेस्ट तथा 700 से अधिक वर्टीकल गार्डन स्थापित करने के विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके श्री रोहित मैहरा ने कहा कि ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में रचित वृक्षायुर्वेद नामक ग्रंथ से प्रेरणा लेकर वह पर्यावरण संरक्षण के लिए "हरित भारत स्वस्थ भारत"अभियान में जुटे हैं। विशिष्ट वक्ता के रूप में भावनगर गुजरात से जमीनी पर्यावरण विद् किशोर भाई भट्ट अपने विचार सांझा किए। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश पंडित ने अपने उद्बोधन में कहा कि मनुष्य का जीवन और स्वास्थ्य पर्यावरण के स्वास्थ्य पर आश्रित है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भोगवादी प्रगति से पर्यावरण क्षरण तेजी से हुआ है। अंधाधुंध विकास के नाम पर पर्यावरण एवं जैव-विविधता से छेड़छाड़ व्यक्ति की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। जलवायु परिवर्तन या श्रृतुचक्र में परिवर्तन , विषयुक्त सिंथैटिक खाद और कीटनाशक , ऑमोबाईल प्रदूषण तथा इलैक्ट्रोनिकस का दुरुपयोग न केवल पर्यावरण संतुलन बिगाड़ रहा अपितु मनुष्य के डीएनए को प्रभावित कर अनेक रोगों का कारण भी बन रहा है। मानव की प्रगति, उन्नति-अवनति, विकास-विनाश सब पर्यावरण पर आधारित है। पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन में पौधारोपण, वृक्षारोपण, पेयजल स्रोत संरक्षण, पोषण वनों की स्थापना, बायो-ऐंझाईम से जल शुद्धिकरण, जैविक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग, जन-जन को पर्यावरण एवं मनुष्य स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरुकता तथा स्कूलों से ही विद्यार्थियों में प्रकृति, पर्यावरण और जैव-विविधता के प्रति सम्मान एवं संरक्षण की भावना का विकास कर इस गंभीर समस्या का समाधान करना होगा। उन्होंने सभी का आवाहन करते हुए कहा कि आरोग्य भारती के पर्यावरण सुरक्षा आयाम के द्वारा देश-भर में चलाऐ जा रहे जन-जागरण अभियान में शामिल हो कर अपना तथा आने वाली पीढ़ी के जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा में भागीदार बनें। डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर, डॉ हेमराज शर्मा, डॉ नरेश शर्मा, डॉ सरोज सोनी, डॉ जगजीत दैहल, यशपाल शर्मा, अशोक कुमार, डॉ विदैही प्रसाद, डॉ प्रमोद , डॉ पवन गुप्ता, भरत भाई कोराट, स्वीकृति मिश्रा सहित देश भर से पर्यावरणविद्, प्रकृति प्रेमी, वैज्ञानिक, विद्यार्थी तथा समाज सेवी इस संगोष्ठी में जुड़े। डॉ कुलदीप ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। डॉ अनिल भारद्वाज ने संगोष्ठी का संचालन किया। डॉ दीपाली गौतम द्वारा शांति मंत्र पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।


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