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आरोग्य भारती एवं गोसेवा विभाग द्वारा "आयुर्वेद में पंचगव्य चिकित्सा" पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन
गाय को यूं ही माता नहीं कहा गया है। गाय से उत्पन्न हर पदार्थ औषधि है। पंचगव्य में पांच वस्तुयें आती है। गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होने के साथ साथ पंचगव्य के द्रव्यों का प्रयोग कृषि उत्पाद बढ़ाने में भी किया जा रहा है। सिंथेटिक खाद की जगह गोबर से निर्मित जैव खाद के प्रयोग से कृषि उत्पादन तो बढ़ता ही है साथ ही हम अनेक बीमारियों से भी बचते हैं।ये बातें आरोग्य भारती काशी प्रांत एवं गोसेवा विभाग काशी प्रांत द्वारा आयोजित ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी में अखिल भारतीय गोसेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्र ने कही।
डॉ अवनीश द्वारा भगवान धन्वन्तरि वंदना एवं आरोग्य भारती काशी प्रांत अध्यक्ष डॉ इंद्रनील बसु द्वारा स्वागत उद्बोधन से कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष वैद्य राकेश पंडित ने देसी गाय बॉस इंडिकस के गुणों के विषय मे बताया।उन्होंने कहा कि आज पंचगव्य के महत्व को दुनिया से स्वीकार किया है एवं इसपर अनेक शोध भी किये गए हैं।इन शोध का आज भी पब्लिक डोमेन में अभाव है।इसलिए जन जागरूकता आवश्यक है जिससे हर व्यक्ति पंचगव्य के महत्व को जाने। गोमूत्र के विषय मे जानकारी देते हुए बताया कि इसमे शरीर का विकास करने वाले तत्व, गोनाडोट्रोपिन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए,बी, सी, डी और ई पाया जतव्है।इसके साथ ही इसमे फ्रीरेडिकल नष्ट करने वाले एन्टीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं।पंचगव्य शरीर मे बायोवेलिबिलिटी को बढ़ाता है जिससे दवाओं की डोज कम की जा सकती है।गोमूत्र में ऑफलाक्सासिन के समान एन्टी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं।
इसके साथ ही गाय के गोबर से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है इससे किसान के आय में वृद्धि होगी एवं पर्यावरण संरक्षण भी सम्भव हो सकेगा।
वरिष्ठ चिकित्सक एवं विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रोफेसर जी एस तोमर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जो भी सिद्धांत प्रतिपादित किये गए हैं, वो पूर्णतः वैज्ञानिक धरातल पर सत्य है।आज भी काशी में श्रावणी के अवसर पर पंचगव्य का सेवन निश्चित ही वर्ष भर लोगों को रोग मुक्त रखता है।हमारे शरीर मे कई बैक्टीरिया फायदेमंद भी हैं।आयुर्वेद में प्रीबायोटिक एवं पोस्ट बायोटिक का कांसेप्ट है, पंचगव्य इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। गोमूत्र के प्रयोग से कैंसर चिकित्सा के दुष्प्रभाव जैसे बालों का झड़ना, तनाव में लाभ मिलता है, साथ ही अमृत के समान गुणकारी गोमूत्र क्रोनिक लिवर की बीमारी में फायदेमंद है।गाय का घी शरीर मे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करता है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने कहा कि गाय का दूध शीत, चिकना, भारी, मीठा वातपित्तनाशक व तत्काल वीर्य उत्पन्न करने वाला होता है। इस प्रकार गाय के दूध में जीवन शक्ति को बढ़ाने वाले एंटीऑक्सीडेंट एवं एंटी कैंसर गुण हैं।
यह सर्वश्रेष्ठ रसायन है।पंचगव्य अमृत के समान गुणकारी है।पंचगव्य घृत उन्माद अपस्मार जैसी मानस बीमारी में उपयोगी है।
दही पाचक अग्नि बढ़ाने वाला, शुक्र को बढ़ाने वाला, शरीर को पुष्ट करने वाला होता है।
गोमूत्र तीता, तीखा, गरम, खारा, कड़वा, और कफ मिटाने वाला है। हल्का अग्नि बढ़ाने वाला, बु़द्धि और स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला, पित्त, कफ और वायु को दूर करने वाला होता है।
श्री आयुर्वेद महाविद्यालय नागपुर के प्रोफेसर बृजेश मिश्र ने कहा कि गाय के गोबर का सबसे बड़ा गुण कीटाणु नाशक है। इसमें हर प्रकार के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता है। इसलिए गावों में आज भी शुभ कार्य करने से पूर्व गोबर से लेपा जाता है। इससे पवित्रता व स्वच्छता दोनों बनी रहती है। पंचगव्य स्वंय में एक औषधि है।गाय का घी बुद्धि वर्धक है साथ ही स्ट्रेस और अवसाद में लाभकारी है।गोमूत्र का अर्क कैंसेर में उपयोगी है।
विश्व आयुर्वेद मिशन के राष्ट्रीय सचिव डॉ धर्मप्रकाश आर्य ने कहा स्वामी दयानंद ने अपनी पुस्तक गोकरुणनिधि में बताया है कि गाय जिस परिवार में रहती है वहां पोषण ही करती है इसलिए स्वस्थ रहने के लिए हर घर मे गोपालन करना चाहिए।
गोसेवा विभाग काशी प्रांत प्रमुख अरविंद, डॉ अवनीश पाण्डेय ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ अशोक कुमार वार्ष्णेय, डॉ मुकेश, डॉ सिबानी सोनी, डॉ अवनीश पाण्डेय, डॉ विपुल नारायण, डॉ आशीष त्रिपाठी, डॉ मीनाक्षी सिंह, डॉ अभिषेक पाण्डेय सहित अनेक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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