अमोल ही है अमोल पालेकर

लेखक: संजय दुबे

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भारत मे टाइप्ड फिल्म बनाना व्यावसायिक लाभ पाने वाले निर्माता निर्देशको की शुरुआती दौर बेबसी रही है। नाटकीयता इतनी अधिक हुआ करती थी कि विश्वास नही होता था कि स्वाभाविक जीवन मे परिवार,समाज, देश विदेश में ऐसा होता होगा, लेकिन दुख को ओढ़ा व्यक्ति कल्पना लोक में विचरण करना बेहतर समझता रहा सो नायकों में स्वयं को देखने के चलते सहज नायक की कतार लम्बी

नही रही। आम आदमी जैसा कार्टूनिस्ट लक्ष्मण में हमने देखा वैसा सहज आम आदमी दिखने की कोशिश राजकपूर ने किया लेकिन वे चार्ली चैपलिन में सिमट गये। उनके बाद बहुत समय तक आम नायक नही मिला और मिला तो अमोल पालेकर के रूप में।

 आम जीवन मे बड़े सुखद घटनाक्रम हुआ करते है जो सुकून देते है जिंदगी को, बासु चटर्जी ऐसे ही आम जिंदगी में चुटीले अवसर खोजते औऱ उनको फिल्म का रूप दे देते। 1970 के दशके में जब देश मल्टीस्टारर फिल्मों के रूप में शोले,त्रिशूल,दीवार,रोटी कपड़ा औऱ मकान जैसी फिल्में सफलता के 6-6 माह एक थियेटर में जकड़े रहती तब अमोल पालेकर आम आदमी के पर्याय बनकर चित्तचोर, मेरी बीबी की शादी,घरौंदा, नरम गरम, बातों बातों में औऱ अविस्मरणीय फिल्म गोलमाल में आये। गोलमाल विशुद्ध परिस्थिजन्य हास्य का बेहतरीन तालमेल था। जुड़वा भाई की जुडवा माँ के चरित्र में दो कलाकारों अमोल पालेकर औऱ दीना पाठक के साथ साथ उत्पल दत्त की उपस्थिति ने आम जीवन को भी विशेष बना दिया था। अमोल पालेकर ने राम प्रसाद शर्मा और लक्ष्मण की भूमिका को इतने बेहतरीन ढंग से जिया था कि दोनों को देख कर हंसी थमती नही थी।

 अमोल पालेकर ऐसी फिल्मों में टाइप्ड होते उन्होंने नायकत्व को तिलांजलि देकर निर्देशक बनना बेहतर समझा। पहेली, अनाहत,कैरी, मृगनयनी उनकी निर्देशित फिल्में थी। एकबारगी कैरी फिल्म निर्माण के समय किसी ने पूछा था कि कठिन विषय पर फिल्म बनाने के बजाय मसाला फिल्में क्यो नही बनाते? अमोल ने बड़ा ही सहज उत्तर दिया था "दर्शको के लिए फिल्म सभी बनाते है मैं अपने लिए फिल्म बना रहा हूं आखिर मेरी भी तो संतुष्टि मेरे लिए मायने रखती है।"

 अमोल थियेटर के कलाकार रहे है । सत्यदेव दुबे के मराठी नाटक शांतता कोर्ट चालू आहे के माध्यम से वे फिल्मो में आने से पहले ही विख्यात हो चुके थे। रजनीगंधा मनु भंडारी की कहानी का फिल्मांकन था जिसके माध्यम से अमोल, अमोल ही हो गए। 

 दूरदर्शन के जन्म के कुछ समय बाद अमोल ने कच्ची धूप नाम का एक धारावाहिक भी निर्देशित किया था। इस धारावाहिक की कलाकार भाग्यश्री आगे चलकर मैंने प्यार किया के माध्यम से सादगी की मापदंड बनी थी।

 ये भी आपको जानना जरूरी है कि अमोल जे जे आर्ट्स के प्रोडक्ट है। रंगमंच के अलावा वे अच्छे पेंटर भी है।फिल्मो में आने से पहले वे बैंक के कर्मचारी भी रहे कहने का मतलब ये है कि आप अपनी जिंदगी को जैसा बनाना चाहते हो तो पटरी बदलने का हौसला होना चाहिए।

आज 24 नवम्बर को अमोल अपना 76वां जन्मदिन मनाएंगे। उनको बधाई।

दो दीवाने शहर में ,रात में या दोपहर में, आबोदाना ढूंढते है एक आशियाना ढूंढते है।


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