वर्गीज कुरियन: आखिर किस मापदंड से आप उन्हें चुनेंगे भारत रत्न
लेखक: संजय दुबे
आज एक ऐसे व्यक्ति के जन्म दिन का शतकीय तिथि है जिन्होंने इस देश मे सहकारिता के आंदोलन का एक ऐसा मील का पत्थर गाड़ा जिसके सफलता के किस्से न केवल देश मे बल्कि विदेशों में सुनाये जाते है। भारत को कामधेनु गाय का देश माना जाता है।यहां आशीर्वाद में दूधो नहाओ पूतो फलों का आशीर्वचन दिया जाता है। कोई ऐसा घर न पहले था न अब है जहां सुबह की शुरुवात के लिए दूध की जरूरत न होती हो। दूध के अलावा दही,मठा, मक्खन,घी खोवा पुराने जमाने के सह उत्पाद रहे है। आज के दौर में पनीर और चीज़ के रूप में दूध के नए उत्पाद जुड़ गए है। वर्गीज कुरियन जो मूलतः शिक्षा मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पूरी किये थे लेकिन प्रबंधन उनकी ऐसी पसंदगी थी जिसे उन्होंने अमली जामा पहनाया दूध के सहकारी एकत्रीकरण से। भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के हौसले अफजाई के चले कालीकट से वर्गीज़ खेड़ा( गुजरात) पहुँचे। असंगठित दूध उत्पादन के क्षेत्र को उन्होंने संगठित क्षेत्र में बदलने के लिए जो मेहनत उन्होंने की वैसा विरला व्यक्ति ही कर पाता है। दूध उत्पादन के लिए उन्होंने गाय के साथ साथ भैस को भी प्रमुखता देने का कार्य शुरू किया। दूध को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्रशीतन केंद्रों की स्थापना के साथ गाय भैस की प्रजातियों को उन्नत बनाने के लिए उनके पालन पोषण का वैज्ञानिक आधार का चयन किया गया। पशु चिकित्सा को दूध के उत्पादन में व्रद्धि के लिए जोड़ा गया। दो दशक की अवधि में वर्गीज़ कुरियन ने देश मे दूध उत्पादन का वह रिकार्ड कायम किया कि दुनियां में भारत चौथे क्रम पर आ गया। जिस देश मे दूध पाउडर विदेशों से आता था उसमें देश आत्मनिर्भर हो गया ये ठीक वैसी ही बड़ी उपलब्धि थी जैसे स्वामीनाथन जी ने कृषि के क्षेत्र में क्रांति की थी। स्वामीनाथन की क्रांति" हरित क्रांति" कहलाई तो कुरियन की क्रांति "सफेद क्रांति" कहलाई। अमूल कुरियन का साकार सपना था जिसे उन्होंने खुली आँखों से देखा था।
देश मे अतीत के गर्त में अज्ञात हुए व्यक्तियों को खोज खोज कर भारत रत्न देने की राजनैतिक परंपरा रही है ।जो दल सत्ता में आता है वह अपने अपने को खोज खोज कर रत्न बनाता है। सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी के लिए सारे कायदे तोड़ दिए जाते है। राजनैतिक लाभ लेने के लिए भूपेन हजारिका रत्न बन जाते है। देश के विकास के लिए निःस्वार्थ कार्य करने वाले किसी राजनैतिक दलों के सदस्य नही होते है इस कारण इनकी उपेक्षा सोची समझी राजनीति का हिस्सा ही मानना चाहिए। वर्गीज़ कुरियन सही मायने में भारत के रत्न है जिन्होंने न केवल गुजरात बल्कि देश के हर राज्य के लिए एक प्रेरणा स्तम्भ खड़ा किया कि सहकारिता हमारे विकास का मूल मंत्र है। आज अमूल के देखा देखी हर राज्य के पास अपना डेयरी बोर्ड है। क्या इतना भी भारत रत्न होने के लिए कम है?
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