भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल पुरे...

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सैंतीस साल पहले, आज ही के दिन 1984 में, भारत ने दुनिया की सबसे भयानक रासायनिक आपदाओं में से एक को देखा था। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सेविन नामक कीटनाशक का उत्पादन करने के लिए 1969 में बनाई गई यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) फैक्ट्री से लगभग 42 टन जहरीली गैस, मिथाइल आइसो साइनेट (एमआईसी) के रिसाव से 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

तथाकथित 'आकस्मिक रिसाव' का कारण अभी भी बहस में है। मध्य प्रदेश सरकार ने गैस रिसाव से संबंधित कुल 3,787 मौतों की पुष्टि की। 2006 में एक सरकारी हलफनामे में कहा गया था कि रिसाव से 558,125 घायल हुए, जिनमें 38,478 अस्थायी आंशिक चोटें और लगभग 3,900 गंभीर और स्थायी रूप से अक्षम चोटें शामिल हैं। दूसरों का अनुमान है कि दो सप्ताह के भीतर 8,000 लोगों की मृत्यु हो गई, और तब से 8,000 या उससे अधिक की मृत्यु गैस से संबंधित बीमारियों से हुई है।


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