विपिन रावत के अवसान के मायने
लेखक: संजय दुबे
एक दुर्घटना की खबर कानो तक पहुँचती है, विश्वास करने और न करने के बीच यथार्थ अपने आवेग से मस्तिष्क को ये स्वीकारने को बाध्य कर देता है कि सच यही है कि विपिन रावत सर नही रहे।उनके देह का अवसान हो गया। संसार के सबसे प्रमाणित सत्य की शरीर नश्वर है की पुनः पुष्टि हुई। ये भी तय हुआ कि आपका आना और जाना आप पर निर्भर नही है।आप प्रारब्ध में फसेंगे और मृत्यु आपको आगोश में ले लेगी।।कल भी यही हुआ। कुन्नूर के जंगलों में विपिन( जंगल का ही पर्यायवाची) रावत का सपत्नीक दुखद निधन हो गया। किसी स्त्री के लिए उम्र के उत्तरार्द्ध में एक पति से ज्यादा मित्र की आवश्यकता के रूप जीवनसाथी बेहतर विकल्प होता है , ऐसे जीवनसाथी ने आखरी तक एक दूसरे का साथ नही छोड़ा ये भी भाग्य का सुखद पहलू है।
कल से लेकर अभी तक CDS याने चीफ ऑफ द डिफेंस विपिन रावत के अनगिनत समाचार औऱ मिलट्री की वेशभूषा में उनकी तस्वीर का सारे इलेक्ट्रॉनिक औऱ प्रिंट मीडिया में आ रही है लेकिन सबसे सशक्त प्रतिक्रिया देखने को मिली वो सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म है। खास प्रतिक्रिया के लिए खास लोगो तक मीडिया पहुँच जाता है लेकिन आम आदमी अपनी भावना जहां व्यक्त कर सकता है उन माध्यमो में विपिन रावत को "सच्ची" श्रद्धांजलि मिली है। विपिन रावत केवल तीनो सेना के प्रमुख नही थे बल्कि 140 करोड़ लोगों के बाह्य औऱ आंतरिक संप्रभुता के रक्षक थे। हम देश के रूप में उनके पीछे बेफिक्र थे। हमारी बेफिक्री की नींद औऱ कही भी आने जाने की आज़ादी के पीछे उनके सेना की निगहबान आँखों की चौकसी थी/ है।
किसी व्यक्ति के मृत्यु पर परिवार के सदस्य विलाप करते है, दुख मनाते है, शोकाकुल हो जाते है। सेना के लोगो के लिए ये सब मायने नही रखता। वे मृत्यु को शौर्य का परिणाम मानते है।अपनी धरती की रक्षा के लिए बलिदान मानते है। वे मृत्यु को नही वीरगति को प्राप्त करते है। विपिन रावत भी वीरगति को ही प्राप्त किये है। वे किसी मिशन पर ही गए थे।मिशन भले ही इम्पॉसिबल निकला लेकिन कोशिश में ईमानदारी थी।
व्यक्ति के उम्र, व्यक्तित्व से ज्यादा उसका काम बोलता है। विपिन रावत का भी काम बोलता है। भारत से सैन्य शक्ति में भारी पड़ने वाले चीन को उसके ही मुहाने पर आंख दिखाने का साहस विपिन रावत के योजना का हिस्सा है। पहली गोली के जवाब में अनगिनत गोली के बौछार को परिभाषित करने वाले इस योद्धा के देह के अवसान होने का क्षणिक दुख तो है लेकिन इस दुख से हज़ारो गुना गर्व उनके योगदान का है।
जाइये विपिन रावत सर, स्वर्ग में 42 तोप सज्ज है आपके सपत्निक आगमन पर। परेड सावधान। दाएं देखेगा। दाएं देख। विपिन रावत सर को सलामी देगा।
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