भूमिहीनों के स्वामी

लेखकः संजय दुबे

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 छत्तीसगढ़ में भूमि होना और उसका स्वामी होना या न होना व्यक्ति को दो पंक्तियों में खड़ा करता है। पहले भूमिस्वामी हो जाते है और दूसरे भूमिहीन हो जाते है। भूमिहीन लोगो की ताज़तरीन संख्या 3 लाख 55 हज़ार है ।ये संख्या परिवार की है क्योंकि परिवार का मुखिया ही भूमिहीन है अर्थात लगभग 15 लाख व्यक्ति के आजीविका का प्रश्न सरकार के सामने था।  सरकार बुनियादी रूप से मूलभूत सुविधा के रूप में आवास, अनाज,  बिजली, शिक्षा,  उपलब्ध कराती है लेकिन हर परिवार के सामने अनेक आकस्मिक  आवश्यकताए होती है जिसके लिए उनके हाथ मे कुछ धन की आवश्यकता होती है जैसे बच्चो के लिए कपड़े हो या उनको शिक्षा के लिए बेहतरी की बात हो या फिर परिवार में अपने विवाहित अविवाहित सदस्यों को आकस्मिक सहयोग करना हो  या अचानक आयी बीमारी क्यो न हो तो  भूमिहीन व्यक्ति  असहाय हो जाता था।

छोटे छोटे कामो के लिए जोकि  आकस्मिक होते है और बहुत कम राशि मे इनका  हल भी हो जाता है ऐसे  कार्य मे सहयोग के लिए भूपेश बघेल की सरकार ने  3 फरवरी 2022 से राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषक योजना का शुभारंभ  राजीव गांधी के पुत्र राहुल गांधी के करकमलों से करने जा रही है।

इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के भूमिहीन लोगो को जो खरीफ मौसम में तो अस्थाई रूप से रेगहा अधिया के रूप में  खेती के लिए  कृषको से भूमि किराये में पा जाते है लेकिन बाकी समय मे जब ऐसे भूमिहीन लोगो को  बाकी समय मे  असिंचित भूमि में  फसल उपजाने के लिए कारगर सुविधा नही मिल पाती है तो वे बेरोजगारी की समस्या से जूझते है। आर्थिक व्यय  की निरंतरता सदैव ही रहती है। सामाजिक, आर्थिक, सांस्कतिक कार्यो में खर्च की आवश्यकता रहती है। ऐसे में  भूपेश बघेल की सरकार ने नई योजना को देश मे सामने रखा है। किसानों के हित मे लिए जाने वाले निर्णय से ग्रामीण परिवेश में सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ाने का दृष्टिकोण दिखाता है। भूपेश बघेल  स्वयं किसान परिवार और परिवेश से आते है।

 भूमिहीन किसानों के दर्द को समझना और उसके अनुसार नीति बना कर अमल करना स्वागतेय कदम है। 


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