चार दिन की जिंदगी में 5 दिन का सप्ताह

लेखक: संजय दुबे

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4 अंक हमारे जीवन का सर्वाधिक आश्चर्य जनक अंक है। बचपन से हम सुनते आए है कि ठीक से रहो अन्यथा 4 लोग क्या कहेंगे? चार दिन की चांदनी, 4 कंधे, 4 यार, ये शब्द हमारी जिंदगी से जुड़े है और सब कोई इसे सुनते आए है। जिंदगी को भी कि 4 आश्रम में बांटा गया है शायद इसी कारण से 4 दिन की जिंदगी भी कहा जाता है। अब ऐसे में सप्ताह 5 दिन का हो तो सोचना पड़ जाता है कि चार दिन की जिंदगी में सप्ताह 5 दिन का कैसे?

  सप्ताह औऱ जिंदगी के दिन जुदा-जुदा है। किसी भी देश मे मानसिक और शारीरिक श्रम करने वाले दो वर्ग होते है। सरकार के कामकाज को करने वाले शासकीय सेवक होते है और कारखानों में काम करने वाले श्रमिक होते है। इनके अलावा व्यवसाय जगत भी होता है जहां कार्य करने वाले निजी लोग होते है।

 

 कोई भी व्यक्ति निरंतर मानसिक या शारीरिक श्रम नही कर पाता है। उसे थकान महसूस होती है। उद्योगों में कल पुर्जो, मशीनों को भी थकान होती है ऐसे में आराम की आवश्यकता नितांत रूप होती है।

 दुनियां में सबसे पुरानी रोमन सभ्यता में सात दिन के सप्ताह में एक दिन(रविवार) के अवकाश की परंपरा की शुरुआत 7 मार्च 321 को रोमन राजा कंसेंटटाइन ने किया था। चर्च में लोग बेफिक्री से प्रार्थना कर सके ऐसी धार्मिक सोच के साथ अवकाश की परंपरा की शुरुवात हुई थी।

कालांतर में इंग्लैंड के द्वारा परम्परा निर्वाह के रूप में 1843 से संडे को अधिकृत रूप से अवकाश घोषित कर दिया साथ ही 1844 में इंग्लैंड के सभी स्कूलों में भी रविवार अवकाश परंपरा की शुरुवात हो गयी। भारत मे ब्रिटिश शासन के समय 7 दिन निरंतर कार्य की अनिवार्यता थी। 1881 से 1889 तक नारायण मेघा जी लोखंडे जो सूती मिल में कर्मचारी थे उन्होंने देश के मजदूरों को सप्ताह में एक दिन अवकाश देने की लिए आंदोलन किया । उनकी मेहनत रंग लायी औऱ 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार को रविवार अवकाश की घोषणा करनी पड़ी।

 हेनरी फोर्ड जो कार निर्माण कारखाने के मालिक थे उन्होंने 25 सितंबर 1926 को रविवार के साथ साथ शनिवार को भी अवकाश घोषित कर दिया। ये दुनियां में मानसिक और शारीरिक थकान से निजात पाने की अद्भुत परिकल्पना थी। कालांतर में यही परिकल्पना सरकारों ने लागू किया।1929 में अमेरिका ने सप्ताह में शनिवार और रविवार दो दिन का अवकाश की घोषणा कर दी।  

 भारत विविध परंपराओ,संस्कृति, का देश है। यहां विभिन्न धर्म, सम्प्रदाय भाषा के लोग है जिनके अलग अलग पर्व है, भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत पेंशन विभाग द्वारा अनिवार्य अवकाश घोषित किया जाता है। जिनकी संख्या 14 है। राज्य की सरकारे अपने राज्य की संस्कृति के हिसाब से अवकाश घोषित करते है।

 वर्तमान में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री

 भारत मे 3 जून 1985 से केंद्रीय कर्मचारियों को 5 दिन के सप्ताह की सुविधा मिल रही है। राजस्थान, बिहार, पंजाब, तमिलनाडु, दिल्ली, महाराष्ट्र में भी राज्य के शासकीय कर्मचारियों के लिए5 दिन का सप्ताह है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए 5 दिन के सप्ताह की बड़ी घोषणा की है। इस घोषणा से सरकारी कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक श्रम करने के बाद 48 घण्टे का आराम मिलेगा । इस अवधि में परिवार को भी अधिक समय देने की परम्परा की भी बेहतर शुरुआत होगी साथ ही राज्य के सरकारी कर्मचारी केंद्र के कर्मचारी के समान सुविधा के समकक्ष हो गए है। सरकारी कर्मचारियों को साल में 104 दिन का अधिकृत अवकाश मिलना नए युग की शुरुआत है। इससे एक दिन में 8, सप्ताह में40, माह में176 और साल में औसतन 2112 घण्टे कार्य के होते है जिसमे से राज्य के द्वारा घोषित अवकाश के चलते कार्य घण्टे की कमी संभावित है। सरकार, सरकारी कर्मचारियों के लिए संवेदनशील रहती है तो सरकार के कामकाज में निश्चित रूप से गतिशीलता बढ़ती है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 1 नवंबर 2000 के बाद से 21 साल बाद महती घोषणा को प्रभावशील भी कर अपनी लोकप्रियता में इजाफा किया है जिसके प्रति राज्य के सरकारी कर्मचारियों का परिवार आभारी ही रहेगा।


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