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सूर्य नमस्कार अभ्यास स्वास्थ्य का कम्पलीट पैकेज

आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा "सूर्य नमस्कार का वैज्ञानिक महत्व" विषय पर आयोजित तरंग संगोष्ठी में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश पंडित ने कहा कि सूर्य नमस्कार स्वास्थ्य प्राप्त करने का कम्पलीट पैकेज है। डॉ राकेश पंडित ने आगे कहा कि वैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर विकसित हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनियों ने मनुष्य स्वास्थ्य के लिए अनेकों साधन, उपक्रम एवं विधियां निर्देशित की हैं। सूर्य नमस्कार का अभ्यास हमारे शरीर,मन, आत्मा पर सकारात्मक डालता है। सूर्य नमस्कार एक ऐसी विलक्षण योगिक क्रिया है जो समग्र स्वास्थ्य का संपूर्ण साधन माना गया है। सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास व्यक्ति के भोतिक/शारीरिक स्तर से लेकर मानसिक स्तर तक को प्रभावित करता है।सूर्य नमस्कार शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं को विकसित करने और बढ़ाने का अचूक उपाय माना गया है।
सूर्य नमस्कार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से शरीर के सभी अंगों, सभी तंत्रों, सभी अंत:स्राव ग्रंथियों, सभी संरचनाओं एवं सभी क्रियाओं को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
मनुष्य जीवन की सभी अवस्थाओं जैसे बाल्यावस्था, युवा,प्रोढ़, वरिष्ठ, पुरुष - महिलाओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है। विद्यार्थियों, खिलाड़ियों, बुद्धिजीवियों, ग्रहस्थियों , एकांतवासियों सभी के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास लाभप्रद है।
सूर्य नमस्कार को शरीर,मन और आत्मा का श्वास के साथ समन्वय या एकलय का उत्तम साधन बताया जाता है। उन्होंने ने आगे कहा कि वैज्ञानिक शोध यह सिद्ध करते हैं कि सूर्य नमस्कार अभ्यास करने से शरीर में स्थिरता,सुडौलता,यौवन , क्रियाशीलता एवं आयु में बृद्धि होती है। वैज्ञानिक शोध यह भी दर्शाते हैं कि सूर्य नमस्कार हमारे शरीर में रक्त संचार, नाड़ी तंत्र, पाचनतंत्र, श्वसनतंत्र को प्रभावित एवं नियमित कर चय उपचय या मैटाबॉलिज्म को संतुलित रखने में सहायक होता है। भौतिक रूप से देखा जाए तो यह हमारी मांसपेशियों, स्नायुओं ( टैंडन और लिगामेंट्स) की टोन बढ़ाने के साथ-साथ अस्थियों,जोडौ़ं एवं रीढ़ की हड्डियों को लचीला बनाने में सहायक होता है।
स्वामी विवेकानंद योग विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ विनय सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया कि सूर्य नमस्कार करने से पिट्यूटरी ग्रंथि की सक्रियता बढ़ने से सभी हार्मोन ग्रंथियों का स्राव नियमित होकर स्वस्थ लाभ के साथ अनेक रोगों से बचाव एवं उपचार भी होता है। उन्होंने आगे कहा कि बीज मंत्र एवं मुख्य मंत्र के साथ करने से सूर्य नमस्कार का प्रभाव अधिक पाया गया है। कन्याकुमारी विवेकानन्द संस्थान की हिमाचल शाखा की प्रमुख सुश्री कल्पना मैहता ने अपने उद्बोधन में कहा कि सामूहिक रूप से परिवार, कक्षा या बंधु सखायों के साथ इक्ट्ठे सूर्य नमस्कार करने से और अधिक लाभ मिलता है। डॉ हेमराज शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वैद्य अनिल भारद्वाज एवं सुश्री तृप्ता शर्मा ने किया। डॉ सूनील जोशी, श्री अनिल कुमार, डॉ प्रियंका ,श्री सुरेश गुप्ता, डॉ सरोज सोनी, डॉ विदेशी प्रसाद, डॉ उपेंद्र शर्मा, सुश्री मनिंदर जीत कौर,डॉ अनिल मैहता, डॉ हेमराज शर्मा, डॉ ओम् राज शर्मा, डॉ चमन चोहान, डॉ नरेश शर्मा, जगजीत कौर, दीपाली गोतम सहित देशभर से अनेक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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