18साल बाद मिला शासकीय सेवको को अपने भविष्य की बेफिक्री

लेखक: संजय दुबे

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आज छत्तीसगढ़ सरकारकी ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी राज्य का बजट प्रस्तुत किया। आमतौर पर बजट में सरकारी सेवको पर नज़रें इनायत कम होती है लेकिन इस बार राज्य के संवेदनशील मुख्यमंत्री ने जो कदम बढ़ाए वह क्रांतिकारी कदम माना जाना चाहिए।

2004 के साल से सरकारी सेवा में भर्ती होने वाले बहुआयामी प्रतिभा के धनी कर्मचारियों के पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। पेंशन के बारे में सभी जानते है कि जो सरकारी कर्मचारी 20 वर्ष की सेवा पूर्ण कर लेता है वह पेंशन का हकदार हो जाता है।20 वर्ष की सेवा के बाद सरकारी कर्मचारी अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने के लिए भी पात्र हो जाता है। अधिकांश सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के लिए अधिकतम वर्ष के रूप मे उसके आयु का 62 वर्ष(छत्तीसगढ़ राज्य में) निर्धारित है।इस आयु के बाद सेवानिवृत्ति अनिवार्य रूप से दिया जाता है। आज से पहले तक 2004 के बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना नही थी।आज के बाद वे पात्र हो गए है। इसका सबसे बड़ा फायदा सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के बाद आकस्मिक देहावसान के बाद उनकी पत्नी को मिलता है जो कि उम्र के आखरी सालो में आर्थिक संबलता को सुरक्षित करता है।

सरकारी कर्मचारी की जीवित रहने पर उसको मिलने वाला पेंशन सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाला होता है। आज के दौर में जब बूढ़े माँ बाप को उनकी संतान उपेक्षित करते है ,साथ मे नही रखते है ऐसी स्थिति में पेंशन योजना का पुनरारंभ निश्चित रूप से सरकारी कर्मचारियों के लिए क्रांतिकारी कदम है। सभी सरकारी कर्मचारियों विशेष कर 2004 के बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति धन्यवाद देने का फर्ज बनता है।


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