भगतसिंह, सरदार और पंजाब

लेखक: संजय दुबे

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आप पार्टी ने पंजाब में सरकार बनाने से पहले अपनी पार्टी के लिए दो चेहरे सामने लाये थे पहला भगतसिंह और दूसरे बाबा साहब अम्बेडकर। स्वाभाविक रूप से उन्होंने पंजाब के सामाजिक चेहरों को आगे किया था। बाबा साहेब अंबेडकर की नीति समाज के उन वर्गों को आगे बढ़ा कर सामाजिक न्याय देने की थी दूसरी तरफ भगतसिंह आज़ादी के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार थे यहां तक कि अपनी जान भी गवा दी। उनके बलिदान को पूरा देश मानता है जानता है। वे देश के ऐसे युवा है जिन्हें विवेकानंद के आध्यात्म के बराबर ही शौर्य के लिए व्यक्तिगत सम्मान मिलता हैं।

देश की आज़ादी में भगतसिंह के त्याग के बिना मिलना कठिन थी क्योंकि वे अंग्रेजो के दोगलेपन को समझते थे। डर के आगे जीत है ये उनकी विचारधारा थी। हममे से बहुत कम लोगो को इस बात की जानकारी है कि भगतसिंह श्रेष्ठ पाठक और वक्ता भी थे। क्रांति के विषय पर उन्होंने जेल में हज़ारों पन्ने लिखे थे जिसे अंग्रेजों ने इस डर से आग के हवाले कर दिया था कि यदि भगतसिंह के विचार पुस्तक के रूप में जनता में आ जाती तो अंग्रेजों को भगतसिंह के जीते जी देश छोड़ना पड़ जाता। भगतसिंह के बलिदान को जितनी लोकप्रियता मिलनी थी नही मिली लेकिन उन्हें भुलाया भी नही जा सका। वे साहित्य में जिंदा रहे,लोगो के मन मे जिंदा रहे और जब मनोजकुमार ने शहीद बनाई तो वे जनमानस में सशक्त हो गए।

कालांतर ने जब भी समाज मे परिवर्तन के लिए शांति के बजाय क्रांति की विचारधारा पनपी तब तब भगतसिंह पर्याय बने। देश के लगभग हर शहरों में उनकी प्रतिमा और उनके नाम की सड़कें ये बताती है कि भगतसिंह को याद करवाने के लिए आज़ादी के बाद लोगो ने स्वयंस्फूर्त कितना काम किया। पंजाब में भगतसिंह हर व्यक्ति के मन मे एक गर्वीला व्यक्तित्व है ।ये बात अलग है कि भगतसिंह के ही कर्म स्थली में नशे का उड़ता पंजाब मजबूत जड़े जमा चुका है। गुरु गोविंद सिंह के द्वारा समाज के कमजोर वर्ग की सुरक्षा के लिए पगड़ी धारण करने वाले सिक्खों के प्रति सारा देश सम्मान रखता है। ऐसे ही सिक्खों के सरदार भगतसिंह के जन्म स्थली में जाकर आप पार्टी के मुख्यमंत्री भगवत सिंह मान का शपथ ग्रहण भगतसिंह के साथ साथ उनके करोड़ो अनुयाइयों के लिए गर्व और सम्मान की बात है। भगतसिंह ने कहा था " मैं रहूं या न रहूं पर मैं रहूंगा हवाओ में " । वह हवा पंजाब में बही है। अब उनकी तस्वीर हर शासकीय कार्यालयों में भी सुसज्जित होगी। ये एक प्रकार से सरदार भगतसिंह को दी जाने वाली सच्ची श्रद्धांजलि है और लोगों के लिए दी जाने वाली प्रेरणा।


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