देशद्रोह कानून मामला: क्या महात्मा गांधी को चुप कराने वाले इस कानून को 'मौन' लाइसेंस बनने से रोक सकेगी केंद्र सरकार?

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देशद्रोह कानून को लेकर देश में बहस छिड़ गई है। सर्वोच्च अदालत में इस कानून पर सुनवाई हो रही है। एक सप्ताह के दौरान केंद्र सरकार का मन कई बार डोल चुका है। केंद्र सरकार ने पहले देश के औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून का बचाव किया था। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी। सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह राजद्रोह कानून के प्रावधानों की दोबारा से जांच और पुनर्विचार करने को तैयार है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून के मामले में केंद्र सरकार को बुधवार तक जवाब देने का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील पवन दुग्गल का कहना है, महात्मा गांधी को चुप कराने वाले इस कानून को 'मौन' लाइसेंस बनने से केंद्र सरकार को रोकना होगा। ठीक है, अंग्रेजों का ये हथियार पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकता। देश के खिलाफ काम कर रही ताकतों के लिए ये कानून जरूरी है, लेकिन सरकार को इसके प्रावधानों को लेकर दोबारा से विश्लेषण करना चाहिए। इसकी कुछ प्रावधानों को सीमित किया जाए। लोगों के दिमाग से इसका डर निकालना होगा। उसके लिए चेक एंड बेलेंस रखना बहुत जरुरी है। देशद्रोह कानून के नए पैरामीटर तय करने होंगे।
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