उम्मीद की मशाल हैं घाटी के चौधरी, मजबूरी में दसवीं तक ही पढ़े...अब घर-घर जगा रहे अलख

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पारिवारिक परिस्थितियां ठीक नहीं होने से दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे इसके लिए अब घर-घर जाकर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। आरएस पुरा कस्बे के वार्ड-9 के युवक रमेश चौधरी क्षेत्र के ग्रामीण बच्चों को शिक्षा दिलवाने के लिए प्रयासरत हैं। बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाने के लिए अभिभावकों को जागरूक कर रहे हैं।

कोराना के बीच दो साल तक स्कूल बंद रहने के बाद सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के साथ मिलकर रमेश गांव-गांव में जाकर लोगों को शिक्षा के महत्व के बारे में बता रहे हैं। साथ ही शिक्षा विभाग की ओर निशुल्क शिक्षा के साथ सरकारी स्कूलों में दी जा रही अन्य सुविधाओं के बारे में भी लोगों को बता रहे हैं।

कोरोना महामारी के बाद स्कूल खुलने के उपरांत अब तक रमेश 52 बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाने में सफल हुए हैं। कस्बे में छोटी सी किराना की दुकान चलाकर अपना परिवार चला रहे रमेश ने बताया कि जिन बच्चों का स्कूलों में दाखिला करवाया है, उनमें अधिकतर मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहे थे।


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