चारधाम यात्रा में जाये तो कहां रुके?

लेखक - संजय दुबे

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गढ़वाल मंडल विकास निगम(GMVN) उत्तराखंड में रुकने की शानदार व्यवस्था

  देश के मैदानी इलाके में जब सूरज अपना रौद्र रूप दिखाता है तो देश के पर्यटन प्रेमी ठंडी स्थानों की ओर रुख करते है।धर्म और सुकून दो लक्ष्य होते है यात्रा के लेकिन इनके लिए पसंदीदा जगह उत्तराखंड राज्य का नाम पहले क्रम पर है। पहाड़ो का राज्य कहे जाने वाले इस राज्य में राजधानी देहरादून से लेकर, मसूरी, चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ,गंगोत्री और यमनोत्री के साथ हरिद्वार, ऋषिकेश प्रमुख धार्मिक स्थल है। इनके अलावा कम से कम 45 जगह ऐसे है जहां सुकून की भी यात्रा की जा सकती है। ऊंचे पहाड़ो, लंबे देवदार के पेड़ और पहाड़ो के बीचों बीच बहती अलकनंदा, भागीरथी, गंगा सहित इनके सहयोगी नदियों का बहाव के साथ साथ घुमावदार शानदार सड़को की यात्रा का आनंद सचमुच जीवन की आपा धापी को कुछ समय के लिए स्थगित कर देती है।आप इन स्थानों में जाकर अपने को अपने करीब पा सकते है।

यात्रा को शानदार बनाने के लिए मुख्यतः चार सुविधा मिल जाये तो यात्रा अविस्मरणीय बन जाती है।

1 शानदार सुकूनदायक वाहन

2 कुशल वाहन ड्राइवर

3 बेहतर होटल

4 लज़ीज़ भोजन

 किराए का वाहन औऱ चालक , भाग्य पर निर्भर करता है। लेकिन जब आप किसी एजेंसी से किराए पर वाहन ले रहे हो तो वाहन का रजिस्ट्रेशन, और ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस चेक कर सकते है।

आमतौर पर रुकने के लिए धार्मिक स्थलों में धर्मशाला हुआ करते है लेकिन सभी लोग यहां रुकते नही है। वे होटल में रुकना पसंद करते हैं क्योंकि बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती है। आजकल ऑनलाइन का जमाना है। इसमें सीधे तौर पर मिलने वाले होटल से किराया 30 %तक ज्यादा होता है। बेहतर है कि आप होटल में सीधे बात करे भाव ताव करे। फायदे में रहेंगे।

जब आप बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमनोत्री की यात्रा में जाना चाहे तो सबसे उत्तम रुकने की व्यवस्था में गढ़वाल मंडल विकास निगम(GMVN) उत्तराखंड सरकार द्वारा निर्मित गेस्ट हाउस में है। ये चारों धाम के अलावा, इनके आसपास के स्थानों में भी है जहां से आप आसानी से धाम की यात्रा कर रुक सकते है। पंच प्रयाग( देव,कर्ण, नंद, रुद्र और सोनप्रयाग) में रुकने की शब शानदार व्यवस्था है। आदि बद्री, अगरखल,ओली,जोशीमठ, भोजवासा, बरकोट,बारसु, चकराता, चंद्रपुरी, चिन्यालीसुर, धंतोली, ग़ैरसन, गौचर, गवाल्डेम, गौरीकुंड, धंधरिया, घुट्टु, गोपेश्वर, गुप्तकाशी, हनुमानचट्टी, हर कीइन, कौडियाल ,जानकीचट्टी, हर्षिल, ख़िरसु, कोटद्वार, ओसला गावँ,संकरी गावँ, तालुका गावं, पीरन कुलियार, पुरौला, श्रीनगर, सायलसोर, तिलवारा, उखीमठ, सहित उत्तरकाशी में GMVN के रेस्ट हाउस उपलब्ध है। इन स्थानों के अलावा टिहरी बांध,राजा जी नेशनल पार्क, देहरादून हरिद्वार,ऋषिकेशमें भी GMVN के रेस्ट हाउस है जिनमे ऑनलाइन बुकिंग yatraofficegmvn@gmail.com कर सकते है। इसमें किराया उपलब्ध रूम और मांग पर निर्भर करता है। इन स्थानों में चाय, नास्ते, भोजन की भी सुविधा उपलब्ध है नास्ते को छोड़कर जिसका चाय, भोजन का भुगतान अलग से करना होता है इनकी बुकिंग आमतौर पर मार्च अप्रैल के माह से शुरू हो जाती है। अतः उत्तराखंड जाने का कार्यक्रम लगभग 2 माह पहले बना कर रिज़र्वेशन करवा लेने से आपकी यात्रा सुकून वाली हो जाती है। हम लोग इसी महीने बद्रीनाथ -केदारनाथ -गंगोत्री धाम की यात्रा में गए थे तो पीपलकोटी के GMVN रेस्ट हाउस में रुके थे। शानदार व्यवस्था थी। आरामदायक कमरे, उम्दा भोजन, शानदार आत्मीय आगवानी। आमतौर पर सरकारी संस्थानों मे आत्मीयता का अभाव रहता है लेकिन उत्तराखंड इसमे अपवाद है।


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