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“आर्य समाज को विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार नहीं”
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
प्रेम विवाह मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से शुक्रवार को एक बड़ा बयान सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “आर्य समाज को विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार नहीं है” और इसी के साथ उसने नाबालिग लड़की के अपहरण व दुष्कर्म के एक आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की अवकाशकालीन पीठ ने आरोपित के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है और उन्होंने आर्य समाज मंदिर में शादी की थी व विवाह प्रमाणपत्र रिकार्ड पर है।
प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि “विवाह प्रमाणपत्र जारी करना आर्य समाज का काम नहीं है। यह अधिकारियों का काम है।“ वहीं याचिकाकर्ता लड़की पक्ष से पेश अधिवक्ता ऋषि मतोलिया ने कहा कि “पीडि़ता ने सीआरपीसी की धारा-164 के तहत दर्ज कराए गए अपने बयान में आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया है।“ इसके बाद पीठ ने आरोपित की याचिका खारिज कर दी।
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