मिताली का राज

लेखक- संजय दुबे

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मितालीराज का क्रिकेट को राम राम

  क्रिकेट ने जब जन्म लिया था तब अन्य खेलों के समान ये खेल भी पुरुषों का ही खेल था, आज भी अगर भारतीय दर्शको सहितक्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की बात की जाए तो वे महिला क्रिकेट को आज भी बराबरी का तवज्जो नही देते है। आप इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड चले जाइये यहां समानता है, बराबरी से भीड़ स्टेडियम में दिखती है। इस विरोधाभास के बावजूद देश के अलग अलग हिस्से से लड़कियां निकली। पीठ पर किट लादा और स्टेडियम में पसीना बहा कर न केवल खुद को बल्कि क्रिकेट को भी महिलाओं का खेल बना दिया। डायना इन्डुलजी, शांता रंगास्वामी, अंजुम अरोरा,संध्या अग्रवाल जैसे खिलाड़ियों ने एक नींव दी थी जिस पर एक खिलाड़ी ने अकेले मेहनत कर देश को दो बार एकदिवसीय विश्वकप के फाइनल में पहुँचाने में सफलता हासिल की। क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में वे दस हज़ार रन बनाने वाली खिलाड़ी रही है। भारतीय महिला क्रिकेट की वे सालो कप्तान रही और पुरुषों में 22 साल क्रिकेट खेलने वाले सचिन तेंदुलकर से एक साल ज्यादा क्रिकेट खेली। अगर वे ऑस्ट्रेलिया में होती तो शायद उनके जैसा क्रिकेट खेलने वाली कोई और महिला और बनाये गए रिकार्ड की बराबरी नही होती बहरहाल भारत मे छोटे बड़े जगहों में पीठ पर किट रखी छोटी छोटी बच्चियां दिखती है तो मितालीराज याद आ जाती है।

 26 जून 1999 से मिताली ने देश के लिए बैट पकड़ा तो अगले 23 साल तक वे देश विदेश में खेलती रही। 12 टेस्ट, 232 वन डे,89 टी 20 उनके हिस्से में रहा। 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ टाटन टेस्ट में 214 रन की पारी खेली थी। वन डे में 7 शतक और 64 अर्धशतक की बहुमूल्य पारी उन्होंने खेला है। टी 20 में 2364 रन उनके खाते में है। एक समय वे देश के पुरुष और महिला खिलाड़ियों में टी 20 में सबसे अधिक रन बनाने वाली ख़िलाड़ी थी, रोहित शर्मा उनसे पीछे दूसरे क्रम पर थे। 10868 रन कम अवसर मिलने के बाद भी बनाना उपलब्धि है। जितने सालो में सचिन तेंदुलकर 200 टेस्ट खेले उतने साल में मितालीराज 12 टेस्ट खेल पाई। ये लिंग के आधार पर असमानता का सबसे बड़ा उदाहरण है।

 बहरहाल मितालीराज को संतुष्टि होगी कि जब वे क्रिकेट को राम राम कह रही है तो देश मे महिलाओं के लिए क्रिकेट का माहौल बन चुका है। नई पौध देश विदेश मे चमक रहे है। अब किताबो की शौकीन मितालीराज के पास समय होगा लेकिन बोर्ड को चाहिए कि उनके अनुभव का लाभ ले। वे देश की खेल रत्न जो है।


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