उत्तर- दक्षिण फार्मूला

लेखक - संजय दुबे

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यूं तो उत्तर और दक्षिण के अभिप्राय परस्पर विपरीत विचारधारा के रूप में लिया जाता है। राजनीति में वाम और दक्षिण पंथ भी बदलाव और परंपरा को परिभाषित करनेवाले विचारधारा है। फ्रांसीसी क्रांति के पहले वहां के संसद में बाई तरफ बैठने वाले गणतंत्र चाहते थे जबकि दाई ओर बैठे लोग परंपरागत रूप से पुरानी व्यवस्था के पक्षधर थे। समय के साथ साथ दक्षिणपंथी विचारधारा में कट्टरता का सम्मिश्रण बना लेकिन भारत देश की राजनीति में प्रथम नागरिक के लिए एक अनकही व्यवस्था ने जन्म लिया। शुरुआती दौर में भारत के संविधान लागू होने के पहले गवर्नर जनरल( जो संविधान लागू होने के बाद राष्ट्रपति पद के रूप में संस्थापित हुआ) भी पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकारी प्रधानमंत्री बनने पर सी राजगोपालाचारी के रूप में दक्षिण को समन्वित करने का प्रयास था। यदि संविधान सभा का रुख थोड़ा सा भी नरम होता तो देश का पहला राष्ट्रपति दक्षिण से ही होता लेकिन दूसरे राष्ट्रपति के साथ ही उत्तर का प्रधानमंत्री और दक्षिण के राष्ट्रपति का संतुलन कमोबेश तब तब कायम हुआ जब जब देश मे सामान्य स्थिति रही। सर्वपल्ली राधाकृष्णन(1962) के साथ ही देश को दक्षिण का राष्ट्रपति मिला । 1967 में जाकिर हुसैन राष्ट्रपति बने तो वे भी दक्षिण का प्रतिनिधित्व करते थे। 1977 में पहली बार जनता पार्टी सत्ता में आई तो दक्षिण के ही नीलम संजीव रेड्डी के राष्ट्रपति बने। 1980 इंदिरा गांधी मेडक( आंध्रप्रदेश) से लोकसभा चुनाव जीती तो दक्षिण के प्रधानमंत्री बना । इंदिरा गांधी ने उत्तर से ज्ञानी जैल सिंह को राष्ट्रपति बना कर उत्तर दक्षिण का संतुलन बनाये रखा।1987 में उत्तर के प्रधानमंत्री राजीव गांधी रहे तो आर वेंकटरमन दक्षिण से राष्ट्रपति बने। 1997 में भी दक्षिण से ही के आर नारायण राष्ट्रपति बने। 2002 में अटलबिहारी वाजपेयी, गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री थे उन्होंने भी दक्षिण के राष्ट्रपति के रूप मे तुरूप का पत्ता निकाल कर ए पी जे कलाम को सामने कर दिया। ये भी उत्तर दक्षिण के सामंजस्य का नायाब उदाहरण रहा था।

देखा जाए तो राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित राष्ट्रपतियो में आंध्रप्रदेश से 3- राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, और नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति बने। तमिलनाडु से आर वेंकटरमन और ए पी जे कलाम और केरल से के आर नारायण राष्ट्रपति बने।

डॉ राजेन्द्र प्रसाद(बिहार), व्ही वहीं गिरी(ओड़िसा) फकरुद्दीन अली अहमद(आसाम) ज्ञानी जैल सिंह(पंजाब) शंकर दयाल शर्मा(मध्यप्रदेश) प्रणव मुखर्जी(प बंगाल) और वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते है।

 पूर्वोत्तर राज्य छोड़कर गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान , जम्मू कश्मीर और दिल्ली देश को राष्ट्रपति न देने वाले राज्य है।


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