अनुशासन के लिए खुद ब्रश पॉलिश ले बैठ गए जाकिर हुसैन

लेखक - संजय दुबे

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भारत के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन शिक्षा के क्षेत्र से आने वाले दूसरे राष्ट्रपति थे।उनके पहले डॉ राधाकृष्णन भी शिक्षा के क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे। जहां राधाकृष्णन सीधे अध्यापन कार्य से जुड़े थे तो जाकिर हुसैन प्रशासनिक दखल रखने वाले थे। उन्होंने मुश्लिम सम्प्रदाय को शिक्षित करने के पक्षधर थे। इसके लिए मुश्लिम नेशनल यूनिवर्सिटी की स्थापना की 1926 से लेकर 1948 तक वे इससे जुड़े रहे। ये यूनिवर्सिटी आगे चल कर जामिया नगर दिल्ली में स्थापित होने पर जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी कहलाता है। इस यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन 20 साल तक उपकुलपति रहे। वे राज्यसभा में चुने गए, बिहार के राज्यपाल बने, देश मे दूसरे उपराष्ट्रपति बने ,वे डॉ राधाकृष्णन के समान ही राष्ट्रपति बनने से पहले ही 1963 में भारत रत्न बन चुके थे। उन्हें शिक्षा और समाज की उन्नति के लिए असाधारण कार्य के लिए भारत रत्न उपाधि दी गयी। 1967 में देश के राष्ट्रपति बने और ऑफिस में ही उनका निधन हो गया था। वे लगभग 3 साल तक ही राष्ट्रपति रह पाए थे।

 प्रेरक प्रसंग:- जाकिर का अर्थ जिक्र करने वाला होता है। जाकिर हुसैन हमेशा अनुशासन के पक्षधर रहे थे। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में प्राध्यापकों को जिन्ना के समर्थन का विरोध किया। यूनिवर्सिटी का अपना ड्रेस कोड था जिसमे जूता पालिश अनिवार्य था। छात्र इसमे कोताही बरत रहे थे।एक दिन जाकिर हुसैन स्वयं जूता पालिश लेकर यूनिवर्सिटी के दरवाजे पर बैठ गए। जिस छात्र के जूते बिना पालिश के देखते, उसे बुलाते। इस घटना का असर पड़ा और अगले दिन से छात्र अनुशासित हो गए।


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