रायता

लेखक - संजय दुबे

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आमतौर पर भोजन में परोसे जाने वाला खट्टा व्यंजन "रायता" कहलाता है। दही के साथ बेसन की बूंदी युक्त इस व्यंजन में नमक मिर्च, काली मिर्च के साथ हींग आदि का सम्मिश्रण कर पहले के जमाने मे परोसा जाता था अब स्वरूचि भोज आयोजित होने लगे है तो रखा जाता है। रायता मूलतः दिन के भोजन की सामग्री है लेकिन केटरिंग वाले इसे रात में रख कर अपने विशेषज्ञ होने में बोध कराते है।भारतीय खान पान में खट्टा पदार्थ रात्रि में निषेध है लेकिन रायता जो है तो परोसा जाएगा दिन में हो या रात्रि भोज में।

 आम भारतीय थाली को जमीन में रख कर हाथ से खाना खाने का आदी है। चम्मच से उसे खाने में कठनाई होती है। जब सामूहिक भोज में जाना होता है तो बैठ कर खाने की व्यवस्था बमुश्किल 50 के लिए होती है बाकी के लिए खड़े होकर एक हाथ मे प्लेट पकड़कर खाना खाने की मजबूरी होती है,। जिस हाथ से काम नही लिया जाता है या अत्यंत सीमित सहयोग लिया जाता है उसे खाना खाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया तक संतुलन बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है। क्योकि प्लेट में कम होती खाने की सामग्री के कारण संतुलन बिंदु प्लेट में बदलती जाती है। प्लेट सिस्टम में इसी कारण तरल पदार्थ कम रखे जाते है ताकि संतुलन बिगड़ने पर अव्यवस्था न हो जाये। रायता, अमूमन एक छोटे से लिबलिबे प्लास्टिक के कप में प्लास्टिक के चम्मच के साथ उपलब्ध होता है। जिसके थोड़े से भी संतुलन बिगड़ने पर प्लेट में बगरने की अनिवार्यता हो जाती है- यही रायता फैलना है। मीठे, नमकीन भोज पदार्थ में खट्टे पन का मिलना रायता फैलना है। 

सामाजिक व्यवस्था में मिठास, आत्मीयता है। अपनापन अलग अलग व्यक्तित्व में मेल मिलाप की सौहाद्रता है। ऊँच नीच के आर्थिक आधार में समानता है ।जब कोई व्यक्ति इस प्रकार की व्यवस्था में खट्टापन लाता है या किये कराए पर पानी फेर देता है तब रायता फैलाने की बात चरितार्थ होती है।

 समय के साथ समाज मे प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। सोशल मीडिया के कारण हर व्यक्ति अभिव्यक्ति की आज़ादी रखने लगा है। इसके साथ साथ धैर्य की कमी हो रही है, हर व्यक्ति को किसी बात से रायता फैलने का भ्रंम होता है और मन को ठेस लग जाती है।

 रायता फैलना सामाजिक,व्यवस्था में अव्यवस्था है, मिठास में खट्टापन लाने का पर्याय है। जब भी कोई व्यक्ति के विचार समाज के अपनेपन में, समरसता में, सौहाद्रपूर्ण व्यवस्था में बिगाड़ है।

 इसलिए रायता को खाने( अभिव्यक्त न करने) में भलाई है, फैलाने में अगर आप रायता बने तो आपको ये समाज वैसे ही डस्टबिन में डाल देगा जैसे रायता फैलने पर खाने की प्लेट, सारे भोजन के साथ डाल देते है।


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