शतरंज : 64 खानों का अकेला बादशाह - बॉबी फिशर

लेखक - संजय दुबे

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शतरंज जगत की दुनियां में एक से एक धुरंधर हुए है जिनमे विलियम स्टेन्विट्ज़, इमेनुअल लास्कर, केपाबलेनका, मिखाइल बोतिनिविक, अनातोली कर्पोव, गैरी कास्प्रोव का नाम आता है लेकिन एक खिलाड़ी इनके अलावा ऐसा भी है जिसने अमेरिका को विश्व शतरंज के पटल में दुबारा स्थापित किया लेकिन वे शतरंज खेल में भारतीय फिल्म सितारे राजेश खन्ना की तरह धूमकेतु की तरह उभरे, प्रसिद्ध हुए और फिर गुमनामी में खो गए

शतरंज के खिलाड़ियों की फैन फॉलोइंग अन्य खेलों के समान नही होती है। विशुद्ध रूप से मानसिक खेल होने के कारण इसे आम आदमी समझ ही नही पाता है। अब जबकि इंटरनेट का जमाना आ गया है सो बहुतों के बारे में खोजने और पढ़ने में जानकारी मिल जाती है अन्यथा बॉबी फिशर के बारे में जानने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता।

बहरहाल, बात बॉबी फिशर की हो रही है। बहुत कम उम्र में बॉबी ने अमेरिका में अपनी चालो से लोगो को प्रभावित ओर परेशान करना शुरू कर दिया था। विश्व मे महज 15 साल 6 माह 1 दिन में बॉबी ग्रेंड मास्टर याने रेटिंग में 2500 अंक पार कर चुके थे। उनसे पहले बोरिस स्पास्की ने 18 साल की सबसे कम उम्र में ग्रेंड मास्टर बनने का रिकार्ड बनाया था।

 1972 में बॉबी फिशर और बोरिस स्पास्की के बीच ही विश्व विजेता होने की भिड़ंत हुई। चेकोस्लोवाकिया के स्पास्की1969 के विजेता थे। बोरिस ने नए तौर तरीके का शतरंज खेला और 12.5 अंक लेकर विजेता बने।

 1975 तक उनकी बादशाहत बनी रही ।विश्व चैस फेडरेशन से टकराहट के चलते वे अनातोली कर्पोव के साथ खेले नही। इसके बाद बॉबी गुमनामी की दुनियां में खो गए।

1992 में वे चेकोस्लोवाकिया के स्पास्की के साथ अनधिकृत रूप से खेले जिसका अमेरिका ने विरोध करते हुए वारंट निकाल दिया ।बॉबी जापान में गिरफ्तार कर लिए गए। बाद में वे एक आइसलैंड के नागरिक बने और 2008 में उनका निधन हो गया।

 बॉबी ने my 60 memoreble games , chess960 पुस्तके लिखी जो आज भी शतरंज खेल के लिए धरोहर है। आम तौर पर शतरंज में राजा और वजीर ऊंट, घोड़ा और हाथी के बीच होते है लेकिन बॉबी ने राजा और वजीर को किनारे रख कर नया प्रयोग किया था। दुनियां में शतरंज को केवल जानने वाले बॉबी फिशर का नाम जानते है ये उपलब्धि हर किसी को नही मिलती है।बॉबी को मिली है।


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