मेरे नैना सावन भादो- और किशोर कुमार

लेखक - संजय दुबे

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किशोर कुमार के बारे में इस देश की चार पीढ़ी इतना जानती है कि उनके बारे में बताने का मतलब केवल बातों की पुनरावृत्ति ही हो सकती है। एकदो बात जो उनको एक अलग किशोर कुमार बनाती है पहली ये कि मूलतः राग पकड़ कर गाने वालो मे से नहीं थे। जब भी कोई एक गाना महिला पार्श्व गायिका गाती तब किशोर कुमार पहले रिकार्डिंग नही कराते थे। ऐसा ही वाक्या हुआ जब राजेश खन्ना और हेमा मालिनी अभिनीत "महबूबा" फिल्म में आनंद बक्शी द्वारा लिखा गया गाना- मेरे नैना सावन भादो गाने की बारी हुई। किशोर को पता था कि आनंद बक्शी ने खूब मेहनत कर लिखा है जिसमे आरोह और अवरोह की भरमार है। किशोर ने पहले लता मंगेशकर से गाने को रिकार्ड करने के लिए कहा। जब लता मंगेशकर ने रिकार्डिंग करवा लिया तब किशोर कुमार ने ध्यान से सुना। कुछ दिन बाद किशोर ने भी रिकार्डिंग करवा ली। श्रोताओं तक एक ही गाना दो आवाज़ों में पहुँचा तो लता से बेहतर स्थान पर किशोर थे। बाद में पूछा गया तो किशोर ने स्वीकार किया कि लता मंगेशकर के गाने के बाद उनका काम आसान हो गया था। वे गाने के सारे उतार चढ़ाव को पकड़ बेहतर गा लिए।

 दूसरी बात ये कि उनका हास्य अभिनय में नयापन था। पड़ोसन फिल्म में महमूद के सामने किशोर कुमार थे। ये तय करना कठिन हो गया था कि कौन बेहतर है। महमूद खुद मानते थे कि किशोर कुमार के हास्य अभिनय एम एकेडमी है जिससे सिर्फ और सीखा जा सकता है। 

किशोर कुमार के जन्म की कोई तारीख हो सकती है? वे रोज़ किसी न किसी गीत में जन्म लेते है।


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