रोमांस के नायक बनाम ऋषि कपूर
लेखक - संजय दुबे
देखा जाए तो भारतीय सिनेमा के कथानक में इक्कीसवीं सदी के पहले तक नायक नायिका का प्रेम ही मुख्य विषय वस्तु रहा करती थी। दोनो के प्रेम को ही लेकर फिल्म शुरू होती और खत्म होती। हैप्पी एंडिंग याने प्रेमी - प्रेमिका विवाह के बंधन में बंध जाते और दर्शक खुश हो जाता।
ऐसी ही खुशी बॉटने का काम करने ठेका बॉबी फिल्म के साथ ऋषि कपूर ने उठाया और अपनी पहली पारी में इतने बगीचे, झाड़ पेड़ के इर्द गिर्द घूमकर नायिकाओं के साथ नाचे कि बहुत से झाड़ पेड़ तो ऋषि को पहचानने लगे थे। अपनी किताब खुल्लमखुल्ला में उन्होंने इसे बेवकूफी माना और स्वीकार किया कि वे दर्शकों को 25 साल तक बेवकूफ बनाते रहे।
ऋषि से पहले के नायक प्रेम करने की उम्र के कभी नही रहे। वे 35 -40 की उम्र के हुआ करते थे। दो बच्चों के बाप की उम्र में दिलीप कुमार, राजेन्द्र कुमार,राजकुमार, राजकपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर, धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रेम करते थे।गले से नीचे नही उतरते थे लेकिन मजबूरी थी। इस मिथक को ऋषि कपूर ने तोड़ा। वे वास्तविक उम्र के प्रेमी थे। एक से एक स्वेटर पहने, धूप केचश्में पहने, ढेरो नायिकाओं से प्रेम किया और एक नायिका से विवाह भी कर लिया।
ऋषि के बाद से ही प्रेम विषयक फिल्मों के लिए ऐसे नायकों का आगमन हुआ जो कमउम्र के हुआ करते थे। जिनके हाथों में कालेज की किताबें फब्ती थी।
ऋषि अपने पहले दौर की तुलना में दूसरे दौर में ज्यादा परिपक्व दिखे। दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन दो ऐसे कलाकार रहे है जिनकी दूसरी पारी दमदार रही थी उस क्रम में ऋषि भी शामिल हुए। अगर अग्निपथ 2 आपने देखा होगा तो कांचा सेठ की भूमिका में ऋषि एक नम्बर के कमीने दिखे थे और अभिनय भी कमीनेपन की ही की थी।
आज के ही दिन ऋषि ,राजकपूर के संतान के रूप में जन्म लिए थे। कपूर खानदान की सारी खूबियां ऋषि में थी। हम सब जानते है। इससे परे वे सोशल मीडिया के तीव्र प्रतिक्रिया करने वाले भी थे। इस खूबी ने उनको हमेशा चर्चे में ही रखा।
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