शिक्षा,शिक्षण औऱ शिक्षक

लेखक - संजय दुबे

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मेरे ख्याल से व्यक्ति को शिक्षक के रूप में प्रकृति ही पहले शिक्षक के रूप में मिली होगी। सूरज, चंद्रमा, तारे, रात दिन, जंगल, जमीन,पहाड़, नदी, अग्नि, हवा, आसमान ,मौसम, सब इंसान के प्रारंभिक गुरु रहे होंगे।इन्ही से व्यक्ति ने परिस्थिति को समझने की शिक्षा ली होगी। कहा जाता है कि अग्नि का अविष्कार दो वस्तुओं के घर्षण से हुआ। ये प्रकृति ने ही सिखाया, कभी पेड़ का गोल हिस्सा गिर कर लुढ़का होगा तो गोलाकार वस्तु के घूमने की शिक्षा मिली होगी। तेज़ आंधी तूफान बरसात ने पहाड़ो की किसी गुफा में शरण लेने की शिक्षा दी होगी। ठंड के मौसम ने चमड़े को लपेटने की शिक्षा दी होगी।

 समय को भी गुरु माना जाता है जो हर परिस्थिति को समझने और उससे जूझने की शिक्षा देता है।

 इन सबसे पता नही कितने सदियों से सीखते सीखते जानवर जो चार पैर से चलता रहा वो दो पैरों को हाथ बनाकर अपनी दुनियां बनाने और बदलने में लग गया।

जानवर भी व्यक्ति का शिक्षक रहा है क्योंकि झुंड और नेतृत्व के पहले तालीम देने वाले वे ही रहे होंगे। व्यक्ति में नेतृत्व के गुण ने ही राजा, राज्य और आधीनता के शिक्षा को स्थापित किया होगा। यही नेतृत्व कर्ता कालांतर में शिक्षक बने होंगे।

घुमंतू और यायावरी से थमने के बाद शिक्षक भी स्वतंत्र रूप से स्थापित हुए होंगे और उन्होंने ही समूह शिक्षण के लिए व्यवस्था की होगी।

 व्यक्ति ने धर्म और कर्म की शिक्षा सर्वप्रथम रूप से लिया होगा। धार्मिक गुरुओं ने ही शिक्षा के लिए गुरुकुल खोले होंगे और श्रुत माध्यम से शिक्षा पीढी दर पीढ़ी शिक्षा हस्तांतरित होते गई।

समझ समझ के फर्क ने ही अनेकानेक विचारों को जन्म दिया होगा। यही कारण भी है आज विचारों की विभिन्नता देखने को मिलती है।

आज का युग भाषाई आधार पर क ख ग के साथ साथ A B C के अलावा अनेक लिपियों/भाषा के वर्णमाला आधार पर शिक्षा का आधार है। सरकारी गैर सरकारी शिक्षण संस्थान है। शिक्षा के लिए विषय है। विषयवार शिक्षक है।शिक्षण देने वाले शिक्षको का भी वर्ग है। तकनीकी और गैर तकनीकी शिक्षा देने वाले है। एक समय मे शिक्षा ,संस्कार के मायने रहा तो अब व्यवसाय हो गया है। शिक्षक, अब शिक्षाकर्मी हो गए है।

इनसे परे आज भी एक सत्य जो अडिग है कि किसी भी व्यक्ति की प्रथम शिक्षण संस्था उसका घर है और माँ, सबसे पहले और सबसे बड़ी शिक्षक है।उसके बाद परिवार का क्रम आता है अंत मे शिक्षण संस्था का क्रम बनता है।

सिकुड़ती दुनियां में देखा जाए तो जो सुज्ञान देदे वह आदर्श शिक्षक है और ग्रहण कर ले वह आदर्श सीख लेने वाला है।

सभी सीख देने वालो को आज विशेष रूप से स्मृत करने का दिन है।सभी शिक्षकों का अभिनंदन है


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