हर मन प्रीत
लेखक - संजय दुबे
हर मन प्रीत शब्द को जोड़े तो एक नाम जेहन में आता है- हरमनप्रीत। सिक्ख धर्म मे किसी नाम के साथ सिंह लगा हो तो लड़के का नाम हो जाता है और कौर लगा हो लड़की का नाम हो जाता है। भारतीय खेल जगत में दो हरमनप्रीत है एक भारतीय पुरूष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह है तो भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर है। आज जिस हरमनप्रीत की बात हो रही है वह आधी आबादी के साथ साथ इंग्लैंड में देश की टीम को 3 एकदिवसीय क्रिकेट मैच की सीरीज़ में 23 साल बाद जीत दिलाने वाली कप्तान हरमनप्रीत कौर है। आमतौर पर महिला क्रिकेट को भारत मे देखने वालों की संख्या पुरुषों के क्रिकेट देखने वालों की तुलना में कम है लेकिन आप ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, इंग्लैंड जाए तो पाएंगे वहां बराबरी से पुरुष औऱ महिलाओं की क्रिकेट को दर्शक मिलते है। ऐसे ही एक देश इंग्लैंड में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान ने एक बार फिर अपने बलबूते पर शानदार जीत दिलाते हुए 2-0 की अजेय बढ़त बना ली है।
हरमनप्रीत कौर को मितालीराज के संन्यास के बाद तीनो फॉर्मेट में कप्तानी मिली है। मितालीराज के साथ साथ उपकप्तानी करते करते हरमनप्रीत ने बहुत कुछ सीखा है इसका असर अब के खेल में दिख रहा है। कामनवेल्थ खेल में सेमीफाइनल में इंग्लैंड को सिर्फ 4 रन से हराने में हरमनप्रीत ने अपना सारा कौशल लगा कर फाइनल में जगह बनाई थी। हाल ही इंग्लैंड में टी20की सीरीज में भी भले ही 2-1 के अंतर से हारे लेकिन जीत की भूख टीम में दिखी और इसे हकीकत में एकदिवसीय मैच के सिरीज़ में दिखा भी दिया।
कल केंटरबरी में खेले गए दूसरे एकदिवसीय मैच में कप्तान ने कप्तानी पारी खेली। 50 ओवर के आख़री बाल तक एक तरफ का एन्ड सम्हालते हुए पहले तो धीमे औऱ फिर बाद में बेहद आक्रामक पारी खेलते हुए 333 रन का स्कोर टांग दिया। 100 बाल में 100 औऱ फिर अगले 11 बाल में 43 रन ठोक दिए। 18 चौके और 4 छक्के की मदद से हरमनप्रीत ने 143 रन की नाबाद पारी खेली। इस प्रदर्शन के चलते बने लक्ष्य को इंग्लैंड की टीम पार नहीं पा सकी और 15 साल बाद इंग्लैंड को इंग्लैंड की ही जमी पर हराने का श्रेय हरमनप्रीत कौर के साथ जुड़ गया।
वैसे हरमनप्रीत कौर ने 2017 के विश्वकप स्पर्धा में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 नाबाद रन की पारी खेल कर कपिल रिप्ले दिखाया था। कल भी उनका बल्ला खूब बोला। भारत की महिला क्रिकेट टीम एक बड़े उद्देश्य को लेकर इंग्लैंड गयी है। इस टीम की सबसे अनुभवी खिलाड़ी झूलन गोस्वामी ने अपने संन्यास की घोषणा कर चुकी है। वर्तमान इंग्लैंड सीरीज उनकी आखरी सीरीज़ है। टीम के सारे खिलाड़ी उन्हें यादगार बिदाई देने की योजना बना कर गए है। उनकी योजना सफल हो गयी है क्योंकि तीन मैच की सीरीज में पहले 2 मैच भारत जीत चुका है। 24 सितम्बर को लीडस् में दोनो देश अंतिम मैच खेलेंगे। ट्रॉफी झूलन गोस्वामी से ही उठवाया जाना तय दिख रहा है।
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