शाबास झूलन दी

लेखक - संजय दुबे

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20 साल तक विकेट के एक एन्ड से बॉलिंग करना आसान नहीं होता है खासकर जब आप तेज़ बॉलर हो तिसपर आप अगर पुरुष नहीं है स्त्री है और क्रिकेट खेल रही है वो भी भारत से तो मायने रखती है। भारत मे महिलाओं के लिए समय बीत जाने के बाद भी पुरुषों के बराबर खड़े होने का अवसर नही मिलता है। इसका उदाहरण क्रिकेट खेल को ही ले लीजिए देश के पुरुष खिलाड़ी जो A केटेगरी है उनका सालाना पारिश्रमिक7 करोड़ रुपये है जबकि महिलाओं की A केटेगरी के लिए50 लाख रुपये है। कहने का मतलब बुमराह और झूलन गोस्वामी को केवल पुरुष और महिला होने के कारण एक ही खेल खेलने के लिये बराबरी की बात छोड़िए13 गुना कम राशि दी जा रही है।

इन बातों से बेखबर चकदाह पश्चिम बंगाल की एक महिला खिलाड़ी ने पिछले 20 साल तक अथक परिश्रम किया और आज जब लॉर्ड्स के मैदान से वे खिलाड़ी के रूप में वापस आएगी तो उन्हें भले ही दो विश्व कप फाइनल में न जीतने का मलाल रहेगा लेकिन एक मामले में वे जिंदगी भर सुकून की सांस लेंगी कि भेदभाव वाले देश मे उन्होनें महिलाओं को खेल में खासकर गेम ऑफ जेंटलमैन में जेंटलवूमन को भी बराबरी से न सही लेकिन ऐसे स्थान पर लाने में सफलता हासिल की जहां से अभिभावक अपनी बेटियों को क्रिकेटर बनाने का सपना संजो सकते है।

 झूलन गोस्वामी ने जब ढाई घंटे का सफर तय कर कोलकाता पहुँची और 1997 के महिला विश्वकप क्रिकेट के आयोजन में बाल गर्ल बनी तब से ही उनके मन मे ललक थी और अपने सपने को हकीकत का जामा पहनाया तब से लेकर आजतक वे देश के महिला क्रिकेट को ऊंचाई की ही तरफ ले गयी है।

 20 साल में वे देश के लिए 12 टेस्ट, 203 एकदिवसीय और 68 टी20 मैच खेली। वे एकदिवसीय मैच में विश्व मे सबसे अधिक 253 विकेट लेने वाली खिलाड़ी है। दो माह बाद 25नवम्बर को 40 साल की हो जाएगी। इतने लंबे उम्र तक विरले ही खिलाड़ी खासकर तेज गेंदबाज फिटनेस बनाये रखती है।झूलन ने ये काम भी ईमानदारी से किया।

  इस महीने जब वे इंग्लैंड दौरे पर जा रही थी तो उनको एकदिवसीय मैच की सीरीज में लॉर्ड्स में आखरी बार देश की तरफ से खेलना तय कर लिया था। इस टीम में शेफाली वर्मा और ऋचा घोष दो ऐसी खिलाड़ी है जो उनके क्रिकेट युग के शुरुवात के समय जन्म नही ली थी वे टीम में है। उनके साथ दूसरे एन्ड से गेंदबाजी करने के लिए रेणुका ठाकुर आ गयी है तो झूलन को इस बात की भी बेफिक्री होगी कि जब वे खेल छोड़ रही है तो अपना विकल्प को देख भी रही है।

 झूलन के खेल समर्पण की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। आधी आबादी तो उनके जाने का दुख करेगी लेकिन देश की पूरी 140 करोड़ आबादी कृतज्ञता का भाव झूलन गोस्वामी के लिए सदा रखेगी।


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