बीसीसीआई के खिलाड़ी अध्यक्ष

लेखक - संजय दुबे

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हिंदुस्तान के सबसे अमीर खेल कहे जाने वाले क्रिकेट के प्रबंधन के लिए बने संगठन बोर्ड ऑफ क्रिकेट कन्ट्रोल इन इंडिया(BCCI) के 36 वे अध्यक्ष के रूप में 1983 के प्रूडेंशियल कप विश्वविजेता भारतीय क्रिकेट टीम के एक ऐसे गेंदबाज का चयन हुआ है जिसने तीसरे एकदिवसीय विश्वकप आयोजन में सर्वाधिक 18 विकेट लिए थे। ये खिलाड़ी है रोजर बिन्नी, जिन्हें खिलाडी के रूप में बोर्ड की कप्तानी( अध्यक्षता) सौपी गयी है। देश मे जितने भी खेल संघ है उनके किसी भी संघ के अध्यक्ष का सलाना मानदेय 5 करोड़ नही है, ऐसे में 3 साल के लिए अध्यक्ष बने रोजर बिन्नी 15 करोड़ की धनराशि लेकर निकलेंगे। दरअसल खेल की दुनियां में हमेशा से खिलाड़ियों के सर पर बेफिक्री के हाथ होने की परंपरा रही है। पहले तो साधन सम्पन्न लोग "खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब" के समर्थक है और "पढ़ लिख कर नवाब ही बनना बेहतर" समझते है। ये भी माना जाता है कि खेल की दुनियां में मेहनतकश लोग ही मुकाम बनाते है जो अभाव में पलते है। आमतौर पर खिलाड़ी पढ़ाई लिखाई के मामले में कमजोर ही होता है क्योंकि ध्यान ही खेल में लगा होता है। ऐसे लोगो के लिए राजशाही काल से प्रश्रय का सिद्धांत प्रचलन में है। राजशाही खत्म हुई प्रजातंत्र आया तो राजनीति से संबंध रखने वालों ने सिर पर हाथ रखा, उनसे भी आगे उद्योगपति भी अपने को सार्वजनिक जीवन मे स्थापित करने के लिए खेल संगठनो का सहारा लिया और फायदा ये हुआ कि खिलाड़ी अपने प्रबंधन के मामले में बेफिक्र होकर आगे बढ़ते गए। 

जब जब खेल का बेड़ागर्क हुआ तब तब मांग भी उठी कि खिलाड़ियों को खेल प्रबंधन में होना चाहिए क्योंकि वे जीवंत अनुभवी होते है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप कर कम से कम क्रिकेट में तो फेंसिंग लगा दिया।राजनीतिज्ञ होते बड़े चतुर है वे जानते है कि यदि सचिव दमदार हो तो संघ कैसे चलेगा ये बताने की जरूरत नही है।अध्यक्ष बदल सकता है लेकिन सचिव? खेल जगत में ऐसी छोटी छोटी बाते होते रहती है।

 भारत ने 1928 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश किया तब से लेकर अब तक के94 साल के सफर में ग्रांड गोवन से लेकर रोजर बिन्नी तक कुल जमा 36 अध्यक्षो का सफर तय हुआ है। जगमोहन डालमिया अकेले ऐसे अध्यक्ष है जो 3 बार अध्यक्ष बने लेकिन पी सुब्बया(1934 से1946) के 8 साल के कार्यकाल को पीछे नहीं छोड़ पाए। क्रिकेट के बोर्ड में राजा महाराजा, राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों का ही वर्चस्व रहा है। 8 अध्यक्ष ऐसे रहे जो क्रिकेट के मैदान से प्रबधंन के मैदान में आये थे।

 चूंकि खिलाड़ी प्रथम मान ले तो पहले ऐसे अध्यक्षो की चर्चा हो जाये जो कम से क्रिकेट के खेल को समझते थे। बोर्ड के चौथे अध्यक्ष सर दिग्विजय सिंह रणजीत सिंह(1937-38) ने प्रथम श्रेणी का 1 मैच खेला था और दो पारियो में 6 रन बनाए थे। बोर्ड के 6 वे अध्यक्ष एंथोनी डी मेलो(1946-1951) ने प्रथम श्रेणी के 11 मैच में 82 रन बनाए और17विकेट लिए थे। बोर्ड के 8वे अध्यक्ष महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम(1954-56) पहले ऐसे अध्यक्ष थे जिन्होंने टेस्ट खेला हुआ था।3 टेस्ट में 33 रन का योगदान था प्रथम श्रेणी के 47 मैच में 1228 सहित 4 विकेट भी लिए। बोर्ड के 12 वे अध्यक्ष महाराजा फतेहसिंह गायकवाड़ ने प्रथम श्रेणी के 28 मैच खेले 831 रन बनाए और1 विकेट भी लेने में सफलता प्राप्त की। 1956 से 1996 तक कोई भी क्रिकेट खिलाडी अध्यक्ष नही बना।1996 में राजसिंह डूंगरपुर अध्यक्ष बने। वे प्रथम श्रेणी के86 मैच खेलकर 1292 रन बनाये और 206 विकेट भी लिए थे। 2014 में आईपीएल में सट्टेबाजी के चलते शिवलाल यादव को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।शिवलाल यादव ने एक गेंदबाज के रूप में 35 टेस्ट और 8 एकदिवसीय मैच खेले थे।टेस्ट में 102, एकदिवसीय मैच में 8 और 112 के

प्रथम श्रेणी मैच में 328 विकेट लिए थे।

 2019 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में दादा सौरभ गांगुली का अध्यक्ष बनना एक ऐसे खिलाड़ी का अध्यक्ष बनना था जो भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान भी रहा था।दादा ने 2022 तक अध्यक्ष बने रहे। एक खिलाड़ी के रूप में सौरभ गांगुली ने 113 टेस्ट,311 एकदिवसीय सहित 254 प्रथम श्रेणी मैच खेले। टेस्ट में 7212 रन (16 शतक/35 अर्धशतक),32 विकेट, एकदिवसीय मैच में 11363 रन बनाए 100 विकेट भी लिए। प्रथम श्रेणी के मैच में 15687 रन सहित 161 विकेट भी लिए। ये माना जा सकता है कि दादा जैसा अध्यक्ष आगे चलकर अगर सचिन, धोनी, द्राविड़ बनते है तो ही दादा का रिकॉर्ड टूटेगा।

 नए अध्यक्ष रोजर बिन्नी, 27 टेस्ट और 72 एकदिवसीय मैच का अनुभव रखते है जिसमे क्रमशः 830 और 629 रन सहित 47 और77 विकेट लिए है। 1983 के प्रूडेंशियल कप में वे विजेता हिंदुस्तान टीम की तरफ से सर्वाधिक 18 विकेट लिए थे। उनके अध्यक्ष काल मे क्रिकेट को क्या नया मिलेगा ये वक़्त बताएगा।


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