विराट से विराटतम
लेखक - संजय दुबे
क्रिकेट याने भारत के लोगो के लिए प्रार्थना ही है। अनेक क्रिकेट खिलाड़ियों का मन मे सम्मान इतना है कि उनके लिए दर्शक हज़ारों किलोमीटर का सफर तय कर उन स्टेडियम में जा पहुँचता है जहां उनके प्रिय खिलाड़ी प्रदर्शन करने वाले होते है
1983 के पहले तक देश मे क्रिकेट सीमित दर्शकों का खेल हुआ करता था। कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के अलावा नाम भी याद नही रहता था।1971 में अजीत वाडेकर के नेतृत्व में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड को उनके जमी पर हराने की घटना को छोड़ दे तो विदेश में हार या ड्रा ही विकल्प रहते थे।
बहरहाल 1983 और 1985 सहित 2007 और 2011 के विश्व विजेता भारतीय क्रिकेट टीम से विश्व स्तर के खिलाड़ी निकले जिनके शानदार प्रदर्शन ने आश्चर्यजनक रूप से ये स्वीकार कराया कि वे अद्भुत है। सचिन तेंदुलकर तो भगवान ही मान लिए गए। जब सचिन के संन्यास के वक़्त आया तब विराट युग की शुरुवात होने लगी थी।
अंडर 19 विश्वकप जीतकर विराट ने ये तो बता दिया था कि वे केवल बल्लेबाज ही नही है बल्कि कप्तानी के गुण भी उनमें है।देश के टेस्ट खेले 302 खिलाड़ियों (अमर सिंह से लेकर अक्षर पटेल) में विराट 269 वे टेस्ट और एकदिवसीय मैच में खेले224 खिलाड़ियों में175 वे खिलाड़ी है। भारत की तरफ से 100 टेस्ट खेलने वालों के 12 खिलाड़ियों में वे सचिन के 200 के इंटरवल पर है। जब सचिन से पूछा गया था कि वे अपना रिकार्ड तोड़ने के लिए किस खिलाड़ी में संभावना देखते है तो उन्होंने विराट कोहली का नाम लिया था। कोरोना काल के 3 सालो ने सारे काम बिगाड़ दिए। आज विराट कोहली 34 साल के हो रहे है। क्रिकेट खेलने वाले बल्लेबाज़ ज्यादा से ज्यादा 37 -38 तक खेल पाते है। विराट के पास इस मायने से 3-4 साल बचते है। सचिन के 100 शतक से वे 30 शतक दूर खड़े है और कुल जमा रन की बात करे तो सचिन के तीनों फॉर्मेट में बनाये गए 34352 रन की तुलना में 24607 रन विराट कोहली के द्वारा बनाये गए है यानी 9750 रन का फासला है। सर्वाधिक टेस्ट, सर्वाधिक रन और सर्वाधिक शतक तीनो रिकॉर्ड से विराट बहुत पीछे है और शायद उन रिकार्ड तक पहुँचना भी असंभव है।
ऐसे में विराट को शानदार पारियो को खेलने का ही मकसद शेष बचता है। खराब फार्म के चक्रव्यूह में विराट दो बार फंस चुके है और अब की बार तो खुले जुबान से लोगो ने कहना भी शुरू कर दिया था तब पलट कर विराट ने आस्ट्रेलिया में चल रहे टी20 विश्वकप में भारत को आगे ले जाते जा रहे है। ये उनके फिटनेस और आलोचनाओं से परे रह कर अपनी एकाग्रता को पुख्ता करना ही है। वे देश विदेश में फिटनेस के बड़े ब्रांड है ।इसके अलावा मैदान में पहले अपने आक्रामक व्यवहार के कारण सुर्खियों में रहे तो अब रोहित शर्मा की कप्तानी में वे उस भूमिका में नज़र आ रहे है जिस भूमिका में विराट की कप्तानी में धोनी नज़र आते थे।
देश के क्रिकेट प्रेमी तो चाहते ही होंगे कि एक फनकार की तरह अपने फन को सुंदरता देने की तरह से विराट भी मैदान के भीतर रन की बौछार लगाते रहे क्योकि विराट को खेलते देखना भी एक जादूगर के जादू देखने से कम नही है।
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