शबरी
रचनाकार : प्रिया देवांगन
07 Nov 2022
, by: Babuaa Desk
राम राम की रटन लगाई।
उम्र बिता तब दर्शन पाई।।
प्रतिदिन राहे फूल बिछाती।
राम दरश की आस लगाती।।
ऋषि मुनि की वह सेवा करती।
भक्ति भाव तन मन में भरती।।
राम लखन जब दर्शन पावे।
नैनो अपने नीर बहावे।।
शबरी कुटिया खुशियाँ आई।
राम लखन को भीतर लाई।।
आँखों में विश्वास जगाई।
राम लखन की चरण धुलाई।।
चख चख मीठे बेर खिलाई।
शबरी माता भाग्य जगाई।।
भक्ति देख ईश्वर है हारे।
राम दरश कर जीवन तारे।।
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