हार पर इतना मातम क्यो?
लेखक - संजय दुबे
एक सिक्के के जिस तरह दो पहलू होते है उसी तरह खेल में जीत और हार के दो पक्ष होते है। कोई भी खेल दो पक्षो के बीच ही खेला जाता है, एक, के अलावा दो, चार और पांच(बास्केटबॉल), छः(वॉलीबॉल), ग्यारह, तेरह(रग्बी) खिलाड़ियों की टीम अपने प्रतिद्वंद्वियों से जीतने के लिए उतरती है।स्वाभाविक है किसी भी देश छोड़िए छोटे शहर की अदनी सी क्लब टीम भी कोई मैच हराना नही चाहती है लेकिन खेल का शाश्वत गुण है कि उसमें एक को हारना पड़ेगा हारेगी वही टीम जिसके सामने की प्रतिद्वंद्वी टीम बेहतर खेल जाए। कल भी टी20 के सेमीफाइनल में ऐसा ही हुआ। इंग्लैंड के खिलाडिय़ों ने शानदार या यूं कहें हमसे बेहतर प्रदर्शन किया और फाइनल में जगह बना ली। उनके ओपनर्स ने किसी भी बॉलर्स को मौका ही नही दिया और 10 विकेट से जीत गए।
देश मे हार पर निराश होना स्वभाविक है लेकिन मातम पीटना और खिलाड़ियों पर आरोप लगाना तर्कसंगत नही है। क्रिकेट को टीम इन इंडिविजुअल कहा जाता है जिसमे व्यक्तिगत प्रदर्शन के साथ टीम एफर्ट भी काम करता है। कल भी हार्दिक और विराट ने व्यक्तिगत पारी बेहतर खेली ओर लक्ष्य भी ऐसा नही था कि कमजोर होता लेकिन कल का दिन इंग्लैंड के ओपनर्स का था जिन्होंने आक्रामक पारी खेली और 10 रन के औसत से 10 छक्के लगाकर महज 10 बाल में 60 रन जोड़े। 120 बाल के मैच मे शेष110 बाल में 110 रन बनाना कठिन नही रह जाता है।
देश के करोड़ो क्रिकेट प्रेमियों का निराश होना स्वभाविक है क्योंकि उम्मीद फाइनल जीतने की थी और सेमीफाइनल हार गए। एक और रोमांचक मुकाबले के लिए चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से फाइनल में रूबरू होने का ख्वाब टूटा ।
खेल में यही खूबी है कि यहां उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच दर्शक झांसे में आता है और निर्णय को दिल पर लेता है। पाकिस्तान की टीम भारत से हारी थी तो टीवी तोड़ने का एक वीडियो वायरल हुआ था। ये भारत की जीत की खीज को दिखाने वाला था अब पाकिस्तान के दर्शक भी मजा लेने के लिए तैयार होंगे।
खिलाड़ी न तो जीत और न ही हार को स्थायी रूप से लेते क्योकि आगे उनके और भी लक्ष्य होते है। उन्हें मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है। हमसे बेहतर द अफ्रीका की टीम थी लग रहा था वे फाइनल में जगह बना लेंगे। वेस्टइंडीज की टीम अन्तिम 12 में जगह नही बना सकी। मेजबान आस्ट्रेलिया भी अंतिम चार में नही पहुँच सका लेकिन हम सेमीफाइनल में पहुँचे वो भी पाकिस्तान से कठिन तरीके से तो बांग्लादेश से लगभग हारते हारते,।अगर पानी नही गिरा होता तो परिणाम पलट होता।
आज देख रहा था "शर्मनाक हार" की सुर्खियों के साथ खबरें आई है। ये हमारी हार को न सह पाने की झल्लाहट है । इससे उबरने की जुगत लगानी पड़ेगी। खेलभावना के साथ स्वीकार करना होगा कि हमसे बेहतर वे खेले वे जीते, हम भी अच्छा खेले थे पर खेल में जीत एक की होती है। खेल में एक बात हमेशा सीखने की होती है कि जीतो तो गर्व नही और हारो तो शर्म नही। वैसे भी टी 20 दिन विशेष का खेल है।इसमे कोई किन्तु परंतु नही लगता है। बस टीम एफर्ट ने दम मार लिया तो नींदरलेण्ड भी द अफ्रीका को हरा कर पाकिस्तान को सेमीफाइनल मे भेज देता है। हमे इंग्लैंड के ओपनर्स की तारीफ करना चाहिए साथ ही विराट और हार्दिक की पारी को भी सराहना चाहिए जिन्होंने सम्मानजनक लक्ष्य तो रखा था
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