आज दुनियां "गोल" होगी

लेखक- संजय दुबे

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दुनियां गोल है ये सभी जानते हैं, इस दुनियां में इंसान ने कदम रखते ही अपने जीवन का भी कोई न कोई गोल ( आंग्ल भाषा में) बनाते रहा है। इसी गोल की प्रेरणा ने चार पैर से चलने वाले को दो पैर पर चलने दौड़ने का भी साहस दिया। चलते चलते इंसान ने अपने मनोरंजन के लिए खेल के रूप गोल तय किया। दौड़ने का भी गोल खोजा गया। ये गोल मैदान तक पहुँचा।एक गोलनुमा वस्तु ने आकार लिया जो कमोबेश अधिकतम खेलो का हिस्सा बना। 

इंसान की समझ बढ़ते गई तो सारी चीज़ें व्यवस्थित होने लगी। 14 वी शताब्दी में इंग्लैंड में पैर से खेले जाने वाली बॉल को फुटबॉल का नाम मिला । झाड़ियों के बने गोलपोस्ट से आने वाले सालो में 100 से 110 मीटर लंबे और 64 से 75 मीटर चौड़े मैदान में जालीदार गोलपोस्ट के बीच दुनियां के सबसे रोमांचकारी खेल का कारवाँ बढ़ते गया।

 दुनियां में अनगिनत खेल है लेकिन लोकप्रियता के मामले में फुटबॉल के बराबर कोई खेल नहीं है। एक फुटबॉल में 22 खिलाड़ी 90 मिनट की अवधि में रफ्तार दिखाते है तो संतुलन भी साधते है, छकाते है तो नियंत्रण भी रखना होता है। अंतिम उद्देश्य होता है विरोधी के गोलपोस्ट पर खड़े गोलकीपर को गच्चा देकर फुटबॉल को नेट पर उलझा देना या गोल कर देना। यही गोल जीत हार का आधार बनती है।अंतर बस एक गोल का होना चाहिए।

आज रात जब घड़ी भारतीय समय अनुसार रात के 8.30 बजाएगी तब से लेकर अगले 90 मिनट( मध्यांतर के 15 को छोड़कर) तक दुनियां की आधी आबादी से ज्यादा दर्शक फुटबॉल के रोमांच का चर्मोत्कर्ष देखेंगे।

 पिछले विजेता फ्रांस और नए विजेता बनने के लिए फाइनल में पहुँचने वाली अर्जेंटीना के बीच क़तर के मैदान में "द ड्रीम" नाम के फुटबाल से अगले चार साल के लिए नए विजेता की ताजपोशी का दिन आ चुका है। 90 मिनट में नतीजा न निकला तो अतिरिक्त समय और इसमे भी बेनतीजा रहे तो पेनाल्टी और इसमे भी बराबर रहे तो सडन डेथ याने जो चूका वो हारा। नतीजा निकलेगा और 2022 का विजेता कप्तान फीफा कप लेकर ही देश रवाना होगा। अर्जेंटीना के कप्तान मेसी का अंतरास्ट्रीय फुटबॉल आयोजन का अंतिम मैच है जाहिर है कि उनके साथ साथ उनके साथी खिलाड़ी, उनका देश और पूरी दुनियां में फैले प्रशंसक चाहेंगे कि बिदाई का भरपूर जश्न मन जाए। फ्रांस के कप्तान ह्यूगो लोरिस 1930 से लेकर अब तक के अब तक के हुए आयोजन में अनोखे और इकलौते विश्व रिकार्ड से एक कदम दूर खड़े है। वे ऐसे कप्तान बन सकते है जिसने अपने देश को लगातार 2 बार बतौर कप्तान विश्वविजेता बनाया हो। उनके पास एम्बापे जैसा तुरुप का पत्ता भी है जिसने 2018 में उनको फीफा कप थामने का अवसर दे चुके है।

 बस, अब आंखों को इंतज़ार है 90 मिनट के रोमांच का जहां अपने अपने देश के जर्सी पहने हुए खिलाड़ी द ड्रीम लेकर मैदान में होंगे। रेफरी के सीटी बजते ही रोमांच का सफर धीरे धीरे रफ्तार पकडेगा, उल्लास का चर्मोत्कर्ष होगा, उत्तेजना सांस रोकेगी, आह निकलेगी, वाह वाह होगा, सब होगा क्योंकि आज दुनिया गोल होने वाली है।


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