टोटल फुटबॉल

लेखक- संजय दुबे

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बॉलीवुड की मसालेदार फिल्मों की तरह 22वे विश्वकप फुटबॉल का फाइनल भी मनोरंजन से भरपूर रहा। यहां ड्रामा भी था, सस्पेंस भी था थ्रिल भी था क्लाइमेक्स भी था, इंटरवल भी था और द एंड भी । रोहित शेट्टी की फिल्मों के शुरुवात की तरह ही अर्जेंटीना ने आगाज किया था। पहले हाफ में अर्जेंटीना की टीम के आक्रमण को देखते हुए लग रहा था कि फ्रांस पता नहीं कितने मैदानी गोल से हारेगी। फ्रांस की रक्षा पंक्ति अस्त व्यस्त हो गयी थी। अर्जेंटीना के खिलाड़ी फ्रांस के हाफ पर ही खेलते दिख रहे थे। अर्जेंटीना के कप्तान मैसी ने25 वे मिनट में पेनाल्टी के जरिये पहला गोल क्या दागा माहौल अर्जेंटीना की तरफ बनने लगा। 35 वे मिनट में डी मारिया ने दूसरा गोल किया तो जीत लगभग तय होते दिखी। इंटरवल तक फैशन के लिए विख्यात देश फ्रांस के खिलाड़ियों में वह पैसन नही दिखा जिसके लिए वे विख्यात है। पिक्चर अभी बाकी थी और दूसरे हाफ का खेल शुरू हुआ तो विमान बनाने वाले देश फ्रांस के खिलाड़ियों ने ऑफेंस इस द बेस्ट डिफेंस की नीति के साथ उतरे। पहला हाफ मैसी का था तो दूसरा हाफ एम्बापे का था।जेट विमान की तरह एम्बापे ने अपना जादू दिखाया और ये भी बताया कि वे श्रेष्ठ क्यो माने जाते है। महज 91 सेकंड में एम्बापे ने 2 गोल दाग कर मुकाबले में फ्रांस को ला खड़ा कर दिया। दोनो देश के बाद करो या मरो की स्थिति आ गयी 90 मिनट की फिल्म खत्म हुई तो दोनो देश बराबरी पर खड़े थे। इसके बाद शुरू हुआ आक्रमण का दौर , जो 90 मिनट के मैच को 120 मिनट तक खींच ले गया। रोमांच, और उत्तेजना का उफान उठने लगा।सांस रोक देने वाला थ्रिल अपने चर्मोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगा। मैसी ने अतिरिक्त समय मे बढ़त दिलाई तो अगले दो मिनट में एम्बापे ने हैट्रिक गोल कर फिर मुकाबले को बराबरी पर खड़ा कर दिया।

 बहुत सालो बाद फीफा कप के फाइनल में बेहतरीन उतार चढ़ाव देखने को मिला। खासकर अतिरिक्त समय के खेल में। लगता था जिस टीम के खिलाड़ी के नियंत्रण में बॉल आएगी वो विपक्षी गोलपोस्ट पर जाकर ही दम लेगा। दर्शक क्या चाहता है रोमांचकारी खेल और खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन। क़तर के मैदान में सब कुछ देखने को मिला। आखिरकार निर्णय पेनाल्टी से हुआ और फिर जीत हार के बीच सिर्फ गोलकीपर ही होता है। फ्रांस के कप्तान ह्यूगो लोरिस , जो अनोखे कीर्तिमान के पास खड़े थे यदि वे जीतते तो लगातार दो बार फ़ीफ़ाकप जीतने वाले कप्तान बनते लेकिन अर्जेंटीना के खिलाड़ियों के पैर वे पकड़ न सके।

जीत का जश्न का हिस्सा मैसी के लिए लिखा गया। वे विजयी कप्तान के सूची में आ गए है।ये उनका भाग्य था कि अपनी बिदाई के लिए पहले ही ऐसा प्रारब्ध लिखवा लिया था। जीत हार से परे देखे तो कल खेल ने ये बता दिया कि वह भावना का अद्भुत मिश्रण क्यो है। जीत हार, सुख दुख , उल्लास मातम सब एक ही मैदान में जर्सी पहन कर खड़े रहते है। रेफरी की सीटी बजते ही तमाशा होता है। शाबाश फुटबॉल, तुमने सबको कुछ न कुछ सिखाया दिखाया।


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