कृतघ्न राष्ट्र के नायकों, तुम्हारी याददाश्त कितनी कमजोर है?

लेखक- संजय दुबे

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देश किसी भी व्यक्ति के नेतृत्व का मोहताज़ नहीं है, एक जाएगा तो दूसरा आएगा लेकिन देश चला है देश चलेगा- ये बात देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री और एक पार्टी के संस्थापक व्यक्ति पं. अटलबिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा था। वे अब इस धरा में नहीं है लेकिन है अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण, अपने अटल रहने के कारण, अनेक लोग आएंगे जाएंगे लेकिन अटलबिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को नहीं पा पाएंगे। 

राजनीति में पक्ष विपक्ष होना स्वस्थ लोकतंत्र की अनिवार्यता है। दल भी जरूरी है, पर दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर संवेदनशील होना बहुत जरूरी है। इसके भविष्य में होने वाले अभाव को अटलबिहारी वाजपेयी जी भांप चुके थे।संसद में इस बात को लेकर चिंता भी जताई थी। अपने भाषण में पं. जवाहरलाल नेहरू के साथ घटी घटना का उल्लेख भी किया था। नेहरू जी के लिए संसद में अटलबिहारी वाजपेयी जी ने एक बार कहा था कि पंडित जी, आपमे चर्चिल भी है और चेम्बरलीन भी है। इस तुलना की नेहरू जी ने अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ किया था।आज ऐसी प्रशंसा संभव नहीं है ये बात आज पुख्ता हो गयी जब महामना अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन ही बिसार दिया गया। केवल राष्ट्र ने ही बल्कि उनकी पार्टी ने भी अपनी कृतघ्नता दिखाने में कोई कसर नही छोड़ी।

देश की सरकार के पास जनसम्पर्क विभाग होता है जिसे इतनी तो जिम्मेदारी होनी चाहिए कि दिवंगत प्रधान मंत्रियों के जन्म एवम मृत्यु दिवस पर उन्हें विज्ञापित करे ताकि देश के नागरिक भी सामूहिक रूप से याद कर सके। ऐसा नही किया जाना क्या उचित है? एक व्यक्ति जिसने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए न्योछावर कर दिया उसके जन्मदिन पर उन्हें विस्मृत करना आलोचनीय है

सरकारें आती है जाती है पर राजनैतिक पार्टी रहती है उनके संस्थापक सदैव याद रखे जाते हैं पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर के संगठनो ने भी पं अटलबिहारी वाजपेयी जी को विस्मृत कर दिया ये और भी आश्चर्य की बात है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता के रूप में अटलबिहारी वाजपेयी हमेशा यादगार रहेंगे लेकिन छत्तीसगढ़ के समाचार पत्रों में उन्हें पार्टी ने याद नही किया।

 राष्ट्र और राज्य की सरकारों सहित उनकी पार्टी के द्वारा याद न किये जाने पर भी इस देश के सड़क पर चलने वाले नागरिकों के दिलो पर अटलबिहारी वाजपेयी राज करते रहे है ।जिंदा थे तब भी और महाप्रयाण कर गए तब भी। गांव से शहर और महानगर से महानगर को जोड़ने वाली चतुष्कोणीय सड़क से जब भी कोई व्यक्ति गुजरता है तो अटलबिहारी वाजपेयी स्मृत होते है।

आज ही दिन वे 1924 को जन्म लिए थे। सकारात्मक विरोध के पर्याय रहे तो आपसी मेलजोल के व्यवहार के सार्वजनिक तारीफ उनके व्यक्तित्व की खूबी थी।22 दलों की सरकार चला ले गए क्या इसे उनकी राजनैतिक चतुराई नही मानेंगे?

 कृतघ्न सरकारें या पार्टियां चूक करें तो करे लेकिन इस देश का हर नागरिक पं अटलबिहारी वाजपेयी जी को मन से चाहता है मानता है,

 पंण्डित जी,आप हम सबके लोकप्रिय जननायक है, आपको 98वे जन्मदिन की हार्दिक बधाई

 आज किसी समाचार पत्र में सलमान खान का एक पृष्ठ का विज्ञापन देखा- भाई का आज जन्मदिन है- लिखा था।

काश, एक पृष्ठ का एक विज्ञापन होता जिसमे अटलबिहारी वाजपेई होते!


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