मदन मोहन मिल कर बनते है मदन मोहन मालवीय
लेखक- संजय दुबे
25 दिसम्बर का दिन भारत के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि देश ने 48 लोगो को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है उनमें से 2 व्यक्तियों का जन्मदिन एक ही दिन याने आज 25 दिसम्बर को है। एक संयोग ये भी है कि दोनों शख्सियत को एक ही दिन 24 दिसम्बर2014 को भारत रत्न सम्मान मिला था।
पहले शख्स मदन मोहन मालवीय है जिन्हें सारी दुनियां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए जानती है। भारतीय धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए मदन मोहन मालवीय की पहचान उनके जीवन के शुरुवाती दौर से जाना जाता रहा है।
मदन मोहन मालवीय के ज्ञान का विस्तार इतना अधिक था कि उनके भाषण में विद्वता की झलक देखने लायक थी। हिंदी के अलावा संस्कृत के अलावा अंग्रेजी भाषा मे उनका अधिकार अद्वितीय था। कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में उन्होंने संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे ऐसा भाषण दिया कि लोग सुनते ही रह गए। रोलेट एक्ट के विरोध में साढ़े चार घण्टे, अपराध निर्मोचन बिल पर पांच घण्टे का भाषण आज भी उनके अद्वितीय शब्द सामर्थ्य ओर धारा प्रवाहिता के लिए याद किये जाते है।
बनारस का हिन्दू विश्वविद्यालय उनके अथक प्रयास का जीता जागता उदाहरण है। इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए मालवीय जी हैदराबाद के निज़ाम से भी संपर्क किया। निज़ाम, फटे कपड़े पहन कर सीढ़ी में बैठकर अपने गरीबी का स्वांग रचा। मालवीय जी बाहर आकर एक अर्थी के पीछे जा कर फेंके गए पैसे उठाने लगे। लोगो ने पूछा कि मालवीय जी ऐसा क्यों कर रहे है। मालवीय जी का जवाब था निज़ाम के यहां से खाली हाथ जाने से बेहतर है कुछ लेकर जाऊं। निज़ाम को पता लगा तो ससम्मान मालवीय जी को बुलाकर मनचाही धनराशि दी।
मालवीय जी के हिस्से में कांग्रेस के चार अधिवेशन1909-10,1918-19,1930-31,1931-32, में अध्यक्षबनने का गौरव हासिल है। उन्होंने हिंदी सम्मेलन की 1910 में शुरुआत की थी और ये भी भविष्यवाणी की थी एक दौर ऐसा भी आएगा जब हिंदी राष्ट्र की भाषा होगी। आज उनकी भविष्यवाणी सच होते दिख रही है।
हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे समान अधिकार रखने के कारण वे हिंदुस्तान समाचार पत्र के संपादक भी रहे। भारत के संविधान में आदर्श वाक्य सत्य मेव जयते उनके ही विचारों की परिणीति है।
वे आध्यात्मिक रूप से हिन्दू धर्म के विस्तार के प्रणेता थे। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा आरती की शुरुआत उन्होंने ही करवाई थी। आज गंगा आरती गंगोत्री, ऋषिकेश, बनारस और प्रयागराज में भी प्रचलन में है।
अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण मदन मोहन मालवीय जी को "महामना" माना जाता है।
About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS