नाटू नाटू
लेखक- संजय दुबे
कल सारी दुनियां में भारत का जलवा देखने लायक था।2022 में प्रदर्शित फिल्म आर आर आर का मशहूर गाना "नाटू नाटू" ने भारतीय गीत संगीत को 80 साल बाद उस जगह स्थापित कर दिया जिसकी तलाश थी। "गोल्डन ग्लोब" अवार्ड की प्रतिष्ठा इसी बात से पता लगती है कि भारत को जर्मनी, द कोरिया और बेल्जियम से कड़ा मुकाबला करना पड़ा था। लम्बी तपस्या का फल केलिफोर्निया में राजमौली की टीम के प्रतिनिधि के रूप में संगीतकार एम एस किरावनी ने गोल्डन ग्लोब उठाया तो 140 करोड़ गीत संगीत प्रेमी "नाटू नाटू" में झूम उठे।
विदेशों में नृत्य और गीत फिल्मों का वैसा हिस्सा नहीं है जैसा हमारे देश मे है। अगर फ़िल्म में गीत न हो आश्चर्य होता है। पटकथा की आवश्यकता न होने की स्थिति में भी बैक ग्राउंड में गीत चलाने की झकमारी होती है। नृत्य भी ऐसा ही तड़का है कि नायक नायिका थिरके नहीं तो मजा अधूरा माना जाता है। बॉलीवुड के कई प्रोड्यूसर तो 5 -6 गाने और नृत्य के बल पर फिल्म बना लेते थे।
2022 में 1200 करोड़ रुपये कमाने वाली चर्चित फिल्म आर आर आर ने फिल्म निर्माण कर्ताओं को एक नई सोंच दिया कि मसाला फिल्मों के अलावा भी सफलता के लिए अनेक मापदंड है। भारतीय इतिहास में अनेक ऐसे महानायक है जिनको देखा जा सकता है। आर आर आर दक्षिण के दो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोयाराम भीम और अल्लु सीताराम राजू के द्वारा आज़ादी के लिए किए गए योगदान के विषयक फिल्म रही है।
2022 का साल ऐसा भी साल रहा है जब हिंदी भाषी नायकों से ऊपर दक्षिण के नायकों ने दर्शकों के दिल मे जगह बनाई। जूनियर एन टी आर और रामचरण तेजा ने ओजस्वी भूमिका निभा कर बॉलीवुड के निर्माता निर्देशको नायकों को चेताया भी है कि वे अगर समय को नही समझेंगे तो ये खाली विदेशी दुश्मन और खोजी जासूसों के बल पर फिल्में नही चल पाएगी।इसके अलावा ऐसे विवादपूर्ण विषयो से भी बचना होगा जिससे फिल्में चलने के बजाय न चलने के विरोध के सामने खड़ी हो।
अब बात नाटू नाटू की हो जाये । सबसे पहले तो गीतकार की बात करे। गीतकार का लिखा गीत कच्चाशिल्प होता है ये काम चंद्रबोस ने बखूबी किया। डेढ़ साल की मेहनत लगी शब्दो को पिरोने में। गीत के संग जब राग लगते है तब गायकी शुरू होती है ये कसम राहुल पिपलीराज और काल भैरवा ने किया और संगीत दिया एम एम किरावनी ने। सारा काम हो जाने के बाद कोरियोग्राफी की बात आई तो प्रेम रक्षित ने वो काम किया जिसे दुनियां देखते रह गयी। नाटू नाटू गाने में अगर जूनियर एन टी आर और रामचरण तेजा के हुक स्टेप्स देखे तो लगता है कि दो रस्सी पर दो नट अठखेलियाँ खेल रहे है। दोनो कलाकारों ने ये गीत जो ग्रामीण जीवन के कृषि भोजन और परिवेश का आंखों देखा हाल था उसमें जी गए।
इतना सब कुछ होना ही सफलता थी और सफलता पर पुरस्कार की मोहर लग जाये तो श्रम बिंदु के दमकने की बात होती है।
राजमौली ने बाहुबली बनाकर अपने को देश का सबसे बड़ा निर्देशक साबित कर ही दिया था अब आर आर आर ने उन्हें चरम पर ला खड़ा किया है। सही में सब कुछ अद्भुत ही है।
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