विशाल-रेखा भारद्वाज का आसमान

लेखक- संजय दुबे

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विशाल भारद्वाज, रेखा भारद्वाज दो ऐसे नाम है जिन्हें भारतीय सिनेमा प्रेमी अच्छे से जानते है। रेखा की पहचान तो गायिका के रूप में है लेकिन विशाल अपने नामस्वरुप विशाल ही है।

 विशाल को सिनेमाप्रेमियों ने पहले संगीतकार के रूप में जाना था जब "चप्पा चप्पा चरखा चले " औऱ पानी पानी रे नैनो में भर जा जैसे गुलज़ार के गीतों को विशाल ने संगीत दिया था। यहां से विशाल यात्रा शुरू हुई और अब तक जारी है।

 मसाला फिल्मों के उद्योग में कुछ नाम ऐसे है जिन्हें प्रयोगवादी माना जाता है। उनकी फिल्में संवेदनशील विषयो को छूती हुई बनती है और दर्शकों के जेहन औऱ मन मे ऐसे उतर जाते है मानो उनकी ही जिंदगी पर्दे पर देखी गयी है। ऐसा ही नाम गुलज़ार का है। यद्यपि उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों की संख्या अन्य पेशेवर निर्माता निर्देशक के समान नहीं है लेकिन जितनी भी है वे मान्यता प्राप्त है।

 विशाल भी गुलज़ार पीढ़ी के अग्रज है जो गुलज़ार जैसा साहस रखते है। 

 अपने साक्षात्कार में विशाल ये स्वीकार भी कर चुके है किउनका क्रिएटिव जन्म गुलज़ार के कारण ही हुआ है। गुलजार गीतकार, पटकथा, निर्देशन का कार्य किये हुए है विशाल गीतकार संगीतकार पटकथा और निर्देशन के क्षेत्र में है। दूरदर्शन में जंगलबुक गुब्बारे जैसे धारावाहिक में संगीत देकर विशाल ने अपनी यात्रा शुरू की थी। माचिस उनके प्रयोगशाला क़ी बड़ी जिम्मेदारी रही। उनके संगीतकार होने के क्रम में कड़ी रही। बीड़ी जलईले जिगर से पिया,(ओंकार)और सपने में मिलती है(सत्या), दिल तो बच्चा है जी(इश्किया) गीतों में विशाल के अलग होने का प्रमाण आप सुन सकते है।

  शेक्सपियर कथा जगत की ऐसी हस्ती है जिनके कथानक को आप जिनते एंगल से देखना चाहे देख सकते है। आपकी कल्पनाशीलता कहां तक उन्हें यथार्थ रूप दे सकती है ये आप पर निर्भर करता है। विशाल की ये खूबी रही है मैकबेथ औऱ ओथेलो के प्लाट पर मक़बूल और ओंकारा बनाकर ये तो सिद्ध कर दिया कि उनका नजरिया कुछ अलग ही है। विशाल ने रस्किन बांड के कथानक पर भी सात खून माफ बनाई। हैदर उनकी आखरी फिल्म रही है जिसके बाद वे अपने अज्ञात प्रोजेक्ट पर निश्चित रूप से कार्य कर रहे होंगे।

उनकी पत्नी रेखा भारद्वाज ने नमक इश्क गीत के साथ पार्श्वगायन में आई और उनके गाये गीतों की संख्या भले ही कम है लेकिन स्वर के विविधता के कारण उनका अलग स्थान है। अब विशाल और रेखा का बेटा आसमान भारद्वाज भी बतौर निर्देशक के रूप में कदम रख रहा है। 13 जनवरी 2023 को "कुत्ते"( अजीब है ना फिल्म का नाम) फिल्म लेकर दर्शकों के सामने आ रहे है। कुत्ता, आदिम युग से अब तक इंसान के पीछे चलते चलते घर के बेडरूम तक पहुँच गया है। अब जबकि मानवीय संबंधों की रिक्तता चर्मोत्कर्ष पर जा रही है तब कुत्ता ही भावनाओ की अभिव्यक्ति का माध्यम बन रहा है। कुत्ता, सब कुछ होने के बावजूद अपने भोजन के प्रति सचेत होता है साथ ही सड़क पर हो तो अपने वर्चस्व के लिए खूंखार भी होता है, मौत भी कुत्ते की दुनियां में कहावत के रूप में इकलौता है कही भी, कभी भी, बिना रिश्ते नाते के मर जाता है, मांसभक्षी आहार करते है, मृत शरीर सड़ता है और दफना दिया जाता है। आसमान के "कुत्ते" का स्वरूप कैसा होगा ये तो समय बताएगा लेकिन विशाल- रेखा का बेटा आसमान छुयेगा ये तय है।


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