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शिवरीनारायण में ठाकुर जगमोहन सिंह पुस्तकालय बनकर तैयार
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान शिवरीनारायण में उपन्यासकार ठाकुर जगमोहन सिंह के नाम पर पुस्तकालय खोलने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर त्वरित अमल करते हुए शिवरीनारायण में ठाकुर जगमोहन सिंह के नाम पर पुस्तकालय तैयार कर लिया गया है। जल्दी ही इसका विधिवत शुभारंभ किया जायेगा। बहुत ही कम समय में तैयार इस पुस्तकालय में क्षेत्र के युवा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी सहित ज्ञानवर्धक किताबों का अध्ययन कर सकेंगे।
शिवरीनारायण में लंबे समय से पुस्तकालय की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जब भेंट मुलाकात कार्यक्रम में शिवरीनारायण आये थे तो क्षेत्र के लोगो ने लाइब्रेरी की मांग को प्रमुखता से रखा था। कलेक्टर ने पुस्तकालय के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों पर सक्रियता दिखाते हुए शिवरीनारायण क्षेत्र का अनेक बार दौरा किया और उपयुक्त जगह की तलाश की। उन्होंने शिवरीनारायण के जर्जर हो चुके यात्री प्रतीक्षालय भवन को चिन्हित कर नगर पंचायत सीएमओ को भवन को संवारने तथा लाइब्रेरी के रूप में व्यवस्थित करने के निर्देश दिए। आखिरकार चंद महीनों में ही यह पुस्तकालय विभिन्न सुविधाओं के साथ तैयार हो गया है। यहां युपीएससी, पीएससी सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु अलग से बैठकर अध्ययन करने की सुविधा तैयार की गई है। वहीं समसामायिक विषयों पर आधारित पत्र-पत्रिकाएं भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था कराई जाएगी। पुस्तकालय में ई-लाइब्रेरी, वाई-फाई आदि की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
*उपन्यासकार ठाकुर जगमोहन सिंह जी का है शिवरीनारायण से नाता-*
मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा भेंट मुलाकत कार्यक्रम में की घोषणा का रिकार्ड समय के भीतर अमल होने से शिवरीनारायण क्षेत्र के हजारों युवाओं को इसका लाभ मिलेगा। पुस्तकालय का नामकरण जिनके नाम से किया गया है उनका शिवरीनारायण क्षेत्र से पुराना नाता रहा है। ठाकुर जगमोहन सिंह का जन्म विजयराघवगढ़ रियासत में ठाकुर सरयू सिंह के राज परिवार में में हुआ था। 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में ठाकुर सरयू सिंह ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। फलस्वरूप अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें काले पानी की सजा सुनाई गई। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत में सजा भोगने की बजाय ठाकुर सरयू सिंह ने मौत को गले लगना उचित समझा। जगमोहन सिंह ऐसे ही क्रांतिकारी, मेधावी एवं स्वप्न दृष्टा सुपुत्र थे। अपनी शिक्षा के लिए काशी आने पर उनका परिचय भारतेंदु और उनकी मंडली हुआ। बनारस के क्वींस कालेज में अध्ययन के दौरान वे भारतेंदु हरिश्चंद्र के सम्पर्क में से आए तथा यह सम्पर्क प्रगाढ़ मैत्री में बदल गया जो की जीवन पर्यन्त बनी रही। 1878 में शिक्षा समाप्ति के बाद वे विजयराघवगढ़ आ गए दो साल पश्चात् 1880 में धमतरी (छत्तीसगढ़) में तहसीलदार नियुक्त किये गए। बाद में तबादले पर शिवरीनारायण आये। उनकी तीन काव्यसंग्रह प्रेम-संपत्ति-लता (सं. 1942 वि.), श्यामालता और श्यामासरोजिनी (सं. 1943) प्रकाशित हैं।
इसी तरह हिंदी निबंधों के प्रथम उत्थान काल के निबंधकारों में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। ठाकुर जगमोहन सिंह 1857, 1899 हिन्दी के भारतेन्दुयुगीन कवि, आलोचक और उपन्यासकार थे। उन्होंने सन् 1880 से 1882 तक धमतरी में और सन् 1882 से 1887 तक शिवरीनारायण में तहसीलदार और मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया। जगन्मोहन मंडल काशी के भारतेन्दु मंडल की तर्ज में बनी एक साहित्यिक संस्था थी। हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य की उन्हें अच्छी जानकारी थी। ठाकुर साहब मूलतः कवि ही थे।
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