छत्तीसगढ़ केन्द्रीय पूल में सबसे ज्यादा चावल देने वाला राज्य : मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीदी केन्द्रों की संख्या पहले मात्र 1899 थी, जो अब बढ़ाकर 2497 कर दी गई है। इसके अलावा बारदाने की कमी, टोकन, तौल, भुगतान जैसी समस्याओं के कारण किसानों को मंडी में बेहद अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता था। हमने आॅनलाइन टोकन शुरू किया और ऐसे अनेक इंतजाम किए, जिससे धान खरीदी बहुत ही सम्मानजनक, शांति और व्यवस्थित तरीके से हो पाई। इस तरह सुविधाएं देने के कारण हम देश में सर्वाधिक किसानों का धान खरीदने वाले राज्य भी बने हैं। हमने संग्रहित धान को सीधे मिलिंग के लिए भेजने की नई व्यवस्था की, जिससे धान के नुकसान पर अंकुश लगा, वहीं मिलिंग क्षमता बढ़ने से हम केन्द्रीय पूल में सबसे ज्यादा चावल देने वाले राज्य बन गए हैं।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि धरती को हम माता मानते हैं, तो हमारा यह कत्र्तव्य हो जाता है कि माता की सेहत का भी पूरा ध्यान रखें। रासायनिक जहर से माटी की शुद्धता को बचाएं। हमने तो ‘नरवा-गरुवा- घुरुवा-बारी’ की पहचान छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप में की है और ‘सुराजी गांव योजना’ के तहत इस चिन्हारी को बचाने-बढ़ाने- सजाने-संवारने और आने वाली पीढ़ी को अच्छी से अच्छी स्थिति में सौंपने के लिए बहुत बड़ा अभियान छेड़ा है।

 

मुझे खुशी है कि हमारा यह काम सही दिशा में, सही गति के साथ चल रहा है। जगह-जगह से भूमि जल स्तर बढ़ने की खबरें आ रही हैं। जैविक खाद और जैविक खेती को लेकर छत्तीसगढ़ ऊंची उड़ान भर चुका है। लगभग 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से हमारे गौठानों ने ऐसा बड़ा कीर्तिमान बनाया है, जिसके सामने बड़ी-बड़ी कंपनियां कहीं नहीं ठहरतीं। गौठान को हमने सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाने का लक्ष्य रखा था। 11 हजार 267 गौठान निर्माण की स्वीकृति, 9 हजार 716 गौठानों का निर्माण, 4 हजार से अधिक गौठानों का स्वावलंबी होना और 300 से अधिक गौठानों में ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ का शिलान्यास हो जाना, अपने आप में सफलता की पूरी कहानी है। 


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